रेशम के कीट से कैसे बनाया जाता है रेशम, जानिये रेशम से जुड़े कुछ तथ्य
रेशम की साड़ी और रेशम के कपड़े हर किसी को पसंद होते हैं. रेशम के कपड़े का धागा रेशम के कीट द्वारा बनाया जाता है.
रेशम के कीट को लैटिन भाषा में Bombyx Mori या फिर शहतूत के पेड़ के सिल्क का वर्म भी कहा जाता है.
दुनिया का सबसे ज्यादा रेशम का उत्पादन चीन में किया जाता है. चीन में रेशम की खेती और रेशम का कारोबार प्राचीन समय से ही किया जाता है.
रेशम का कीट बनाता है रेशम
रेशम बनाने के लिए प्रकृति ने रेशम के कीटों से जोड़कर एक चक्र बना दिया है जिससे चंद दिन जिंदा रहने के बाद भी रेशम के कीट शहतूत की सहायता से रेशम के निर्माण की नींव डाल देते हैं.
रेशम का कीट मात्र दो या तीन दिन ही जिंदा रहता है और इतने समय में ही मादा रेशम कीट शहतूत की पत्तियों पर से अण्डे दे देती है. हर अण्डे से लगभग 10 दिनों में ही एक मादा रोशम कीट लार्वा निकलता है जो फिर से 30 से 40 दिनों में पहले लंबा होता है और फिर सुस्त होकर गोल आकृति में आ जाता है.
लार ग्रन्थियों का होता है अहम योगदान
लगभग 3 दिनों तक अपने शरीर को हिलाते हुए वह लार ग्रन्थियों को निकालता है जिससे एक लंबे धागे का घोल तैयार होता है जिसे कोया या ककून (Cocoon) कहते हैं.
वायु के संपर्क में आते ही यही कोया धागा सूखकर रेशमी धागा बन जाता है जो लगभग 1000 मीटर लंबा होता है.
कोए का बंद लार्वा एक प्यूपा(Pupa) में बदल जाता है. 12 से 15 दिनों के अंदर प्यूपा एक कीट में बदल जाता है जो क्षारीय स्राव की सहायता से कोये को एक ओर से काटकर बाहर निकल आता है.
रेशम को प्राप्त करने के लिए कोए को कीट बनने से पहले ही खौलते पानी में डालकर कीट को मारकर धागों को अलग कर लिया जाता है. इस प्रकार रेशम कीट के द्वारा रेशम बनाया जाता है.
रेशम के बारे में कुछ रोचक तथ्य
1. पूरी दुनिया में रेशम का चलन चीन से प्रारम्भ हुआ था.
2. भारत इस समय रेशम की सभी ज्ञात व्यापार में प्रयोग वाली किस्मों मलबरी, ट्रॉपिकल टसर, ओक टसर, इरी और मूंगा का सफलतापूर्वक उत्पादन करने वाला एकमात्र देश है.
3. साल 1943 में पश्चिम बंगाल के बहरामपुर में केन्द्रीय रेशम अनुसंधान प्रक्षेत्र की स्थापना की गई थी.
4. रेशम का धागा एक तरह का प्रोटीन है जबकि कपास और जूट का सूत सेल्यूलोज होता है.
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