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दुनिया के पहले अजूबे गीजा के पिरामिड के रहस्य के बारे में जानिये

दुनिया के पहले अजूबे गीजा के पिरामिड के रहस्य के बारे में जानिये

दुनिया के सात अजूबों में से पहला अजूबा मिस्र में स्थित गीजा का पिरामिड माना जाता है. मिस्र के गीजा के पिरामिड के रहस्यों से पर्दा उठाने का लिए दुनियाभर में खोजे हुई हैं.



मिस्र में स्थित गीजा पिरामिडों का निर्माण 2560 ईसा पूर्व में किया गया था. लगभग 4500 सालों के इतिहास में मिस्र में गीजा के पिरामिडों के रहस्यों को उजागर करने के लिए दुनियाभर के देशों ने कई अभियान चलाए हैं. ऐसा माना जाता है कि इन पिरामिडों का निर्माण पत्थरों के द्वारा मिस्र के प्राचीन सम्राट खुफू ने करवाया था.

नेचर जर्नल ने खोज की पुष्टि की

कुछ समय पहले ही नेचर जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट्स के अनुसार शोधकर्ताओं ने इस पिरामिड के रहस्यों से पर्दा उठाने का दावा किया है. उनके अनुसार उन्होंने मिस्र के पिरामिडों के एक खुफिया कक्ष को खोज निकाला है. इस खुफिया कक्ष को शोधकर्ताओं ने विशाल रिक्त स्थान या स्कैन पिरामिड बिग वायड का नाम दिया है.

अभियान चला के खोजा

मिस्र की मिनिस्ट्री ऑफ एंटीक्विटीज के साथ कई संगठनों ने मिलकर मिस्र के पिरामिडों के इस खुफिया कक्ष को खोजने के लिए एक अभियान चलाया जिसे मिशन स्कैन मिरामिड नाम दिया गया.
इस अभियान में इंफ्रारेड थर्मोग्राफ्री, थ्रीडी स्कैन्स विद लेजर और कॉस्मिक रे डिटेक्टर का कई महीनों तक इस्तेमाल किया. अभियान में सामने आए नतीजों को कई महीनों तक खोजा गया.

खोज में पिरामिड का रखा गया विशेष ध्यान

भारत के सात अजूबों में से पहला माने जाने वाला मिस्र के पिरामिड के खुफिया कक्ष की खोज के लिए पिरामिड में स्थित रानी के कक्ष, पिरामिड के नीचे जाने वाले संकरे रास्ते और पिरामिड के प्रवेश द्वार पर डिटेक्टर लगाये गये थे. इन डिक्टेक्टरों पर चांदी चढ़ी हुई प्लेटों का भी प्रयोग किया गया था. जिसके बाद खुफिया चेंबर का पता चलाया जा सका .

मेहनत से बने था पिरामिड

इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के अनुसार मिस्र के गीजा के पिरामिडों को बनाने के लिए गीजा से लगभग 804 किलोमीटर दूर स्थित मिस्र के प्राचीन क्षेत्र टोरा से चूना पत्थर लाए गये थे. लगभग 857 किलोमीटर दूर आसवान शहर से ग्रेनाइट पत्थरों के टुकड़े लाए गये थे. इस समय शोधकर्ता इस पर ध्यान केन्द्रित करते हुए शोध कर रहे हैं कि आखिर इतनी अधिक दूरी से प्राचीन समय में ढाई वजनी पत्थरों को आखिर लाया कैसे गया था.

सबसे ऊंची मानव निर्मित आकृति रही

लगभग 4500 साल पहले बनी गीजा के पिरामिड अगले लगभग 3800 सालों तक दुनिया की सबसे ऊंची मानव निर्मित आकृति के रूप में जाना गया बाद में 1300 ईसवी के आसपास इंग्लैंड के लिंकन शहर में लिंकन कैथेडरल की निर्माण किया गया जिसे सबसे ऊंची मानव आकृति का दर्जा मिल गया. लिंकन कैथेडरल आकृति के पास अगले लगभग 238 सालों तक सबसे ऊंची मानव निर्मित आकृति का दर्जा रहा.

पिरामिड के खुफिया कक्ष की विशेषताएं

शोधकर्ताओं द्वारा खोजे गये मिस्र के गीजा पिरामिड की लंबाई 50 मीटर, ऊंचाई 8 मीटर और चौड़ाई लगभग 1 मीटर से अधिक बताई गई. इस खुफिया कक्ष की लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई ग्रांड चैंबर के बराबर ही बताई गई. एक अनुमान के अनुसार इस खुफिया कक्ष का इस्तेमाल संभवत: पिरामिड के मध्य हिस्से में बड़े पत्थरों के ले जाने के लिए किया जाता होगा.

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