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छटी इंद्री यानी की सिक्स्थ सेंस क्या है ? कैसे जाग्रत होती है ? क्या-क्या कर सकती है ?

छटी इंद्री यानी की सिक्स्थ सेंस क्या है ? कैसे जाग्रत होती है ? क्या-क्या कर सकती है ?

छठी इंद्री को अंग्रेजी में सिक्स्थ सेंस कहते हैं. इसे परामनोविज्ञान का विषय भी माना जाता है. असल में यह संवेदी बोध का मामला है. छठी इंद्री के बारे में आपने बहुत सुना और पढ़ा होगा लेकिन यह क्या होती है…कहां होती है और कैसे इसे जाग्रत किया जा सकता है यह जानना भी जरूरी है. सिक्स्थ सेंस को जाग्रत करने के लिए वेद, उपनिषद, योग आदि हिन्दू ग्रंथों में अनेक उपाय बताए गए हैं. आओ जानते हैं इसे कैसे जाग्रत किया जाए और इसके जाग्रत करने का परिणाम क्या होगा. 


कहां होती है छठी इंद्री :
मस्तिष्क के भीतर कपाल के नीचे एक छिद्र है, उसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं, वहीं से सुषुन्मा रीढ़ से होती हुई मूलाधार तक गई है. सुषुन्मा नाड़ी जुड़ी है सहस्रकार से.  इड़ा नाड़ी शरीर के बायीं तरफ स्थित है तथा पिंगला नाड़ी दायीं तरफ. दोनों के बीच स्थित है छठी इंद्री. यह इंद्री सभी में सुप्तावस्था में होती है.  
छठी इंद्री जाग्रत होने से क्या होता है?
व्यक्ति में भविष्य में झांकने की क्षमता का विकास होता है. अतीत में जाकर घटना की सच्चाई का पता लगाया जा सकता है. मीलों दूर बैठे व्यक्ति की बातें सुन सकते हैं…. किसके मन में क्या विचार चल रहा है इसका शब्दश: पता लग जाता है. एक ही जगह बैठे हुए दुनिया की किसी भी जगह की जानकारी पल में ही हासिल की जा सकती है.  छठी इंद्री प्राप्त व्यक्ति से कुछ भी छिपा नहीं रह सकता और इसकी क्षमताओं के विकास की संभावनाएं अनंत हैं. 
यह इंद्री आपकी हर तरह की मदद करने के लिए तैयार है, बशर्ते आप इसके प्रति समर्पित हों. यह किसी के भी अतीत और भविष्य को जानने की क्षमता रखती है.   आपके साथ घटने वाली घटनाओं के प्रति आपको सजग कर देगी, जिस कारण आप उक्त घटना को टालने के उपाय खोज लेंगे. इसके द्वारा मन की एकाग्रता, वाणी का प्रभाव व दृष्टि मात्र से उपासक अपने संकल्प को पूर्ण कर लेता है. इससे विचारों का संप्रेषण (टेलीपैथिक), दूसरे के मनोभावों को ज्ञात करना, अदृश्य वस्तु या आत्मा को देखना और दूरस्थ दृश्यों को जाना जा सकता है.   इस इंद्री के पूर्णत: जाग्रत व्यक्ति स्वयं की ही नहीं दूसरों की बीमारी दूर करने की क्षमता भी हासिल कर सकता है. 
क्या कहते हैं वैज्ञानिक :
वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में स्पष्ट किया है कि छठी इंद्रिय की बात सिर्फ कल्पना नहीं, वास्तविकता है, जो हमें किसी घटित होने वाली घटना का पूर्वाभास कराती है.   यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के रॉन रेसिक ने एक अध्ययन कर पाया कि छठी इंद्रिय के कारण ही हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होता है.  रेसिक के अनुसार छठी इंद्रिय जैसी कोई भावना तो है और यह सिर्फ एक अहसास नहीं है. वास्तव में होशो-हवास में आया विचार या भावना है, जिसे हम देखने के साथ ही महसूस भी कर सकते हैं.  और यह हमें घटित होने वाली बात से बचने के लिए प्रेरित करती है. करीब एक-तिहाई लोगों की छठी इंद्रिय काफी सक्रिय होती है. 

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