रथ यात्रा (Chariot Festival) हिन्दुओं का एक बड़ा त्यौहार है. भगवान जगन्नाथ की ये Rath Yatra 9 दिनों तक चलती है. जगन्नाथ देव, बलराम, और सुभद्रा अपनी मौसी के यहां साल में एक बार आषाढ़ शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन घूमने जाते हैं. इसे खासतौर पर ओडिसा के पुरी में धूम-धाम से मनाया जाता है. ये एक ऐसा पर्व है जिसे जीवन में एक बार ज़रूर जाकर अनुभव करना चाहिए.
Puri के Rath Yatra से जुड़ी कुछ अनोखी बातें :
1. बारिश –
ऐसा कभी नहीं हुआ है कि जगन्नाथ देव के Rath Yatra के दिन बारिश न हुई हो. ये पर्व आषाढ़ शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन मनाया जाता है.
2. भाई-बहन के साथ जगन्नाथ देव –
जगन्नाथ देव अपने बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के यहां घूमने जाते हैं जो गुंडिचा मंदिर या मौसीमा मंदिर के नाम से जाना जाता है. 9 दिनों की इस यात्रा से लौटने के बाद उन्हें कढ़ी-चावल का भोग लगाया जाता है.
3. तेज़ बुखार –
इस यात्रा के 7 दिन पहले से जगन्नाथ देव के मंदिर के दरवाज़े बंद हो जाते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उन्हें तेज़ बुखार है. हर साल इन्हीं दिनों में उन्हें बुखार रहता है. इन दिनों भगवान के दर्शन नहीं हो पाते. इसी बुखार से ठीक होने के बाद वो सैर पर अपनी मौसी के यहां चले जाते हैं.
4. इकलौते चलते-फिरते भगवान –
ये सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का ऐसा एक ही त्यौहार है जहां भगवान खुद ही घूमने निकल जाते हैं. उनकी इस Rath Yatra में भारी संख्या में लोग मौजूद होते हैं.
5. भेद-भाव से परे –
जगन्नाथ देव के मंदिर में सिर्फ हिन्दू ही जा सकते हैं. लेकिन कई ऐसे लोग हैं जो हिन्दू न होते हुए भी इनमें आस्था रखते हैं. ये लोग चाहे जितने बड़े भक्त ही क्यों न हों लेकिन इन्हें दक्षिण द्वार से ही भगवान की पूजा करनी होती है. रथ यात्रा के दिन ये सभी बंधन तोड़कर हर कोई जगन्नाथ के दर्शन कर सकता है. इसके पीछे कई मान्यताएं भी हैं, जिनमें से एक है कि भगवान ने हर जाति और धर्म के लोगों को दर्शन देने के लिए ही साल में एक बार बाहर आने का फैसला किया.
6. रथों की खासियत –
तीनों भगवान अलग रथों से यात्रा पर निकलते हैं. जगन्नाथ देव के रथ का नाम है नंदिघोष जिसमें 18 पहिये हैं. ये 45.6 फ़ीट ऊंचा है. बलराम के रथ का नाम है तलाध्वज, जिसमें 16 पहिये लगे हैं. ये 45 फ़ीट ऊंचा है. सुभद्रा के रथ का नाम है देवदलना. इसमें 14 पहिये लगे हैं और इसकी ऊंचाई 44.6 फ़ीट है.
7. नए रथ –
आपको जानकर हैरानी होगी की हर साल यात्रा के लिए नए रथ बनते हैं. लकड़ी के बने इन रथों में सब एक जैसा रहता है. इनकी लंबाई चौड़ाई बिलकुल पुराने रथों के जैसा ही होता है.
8. जगन्नाथ पहले जाने से करते हैं इंकार –
जी हाँ, रथ यात्रा शुरू होने के काफी देर तक लोगों को भगवान का रथ खींचने में ज़ोर लगाना पड़ता है और उनका रथ टस से मस नहीं होता. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि माना जाता है कि भगवान अपनी मौसी के यहां न जाने की ज़िद करते हैं लेकिन अथक प्रयास के बाद वो चलने को तैयार हो जाते हैं. और उनका रथ भी चलने लगता है. आप इसे रथ यात्रा के वीडियो में भी देख सकते हैं.
9. राजा करता है सफाई –
ऐसे तो भारत में अब कोई राजा का सिस्टम नहीं रहा लेकिन खास पुरी में एक ‘Official’ राजा हैं जो मंदिर के बाहर का रास्ता सोने से बने पोछे से साफ़ करता है. इसके बाद ही भगवान को मंदिर से निकाला जाता है.
10. पोड़ा पीठा –
भगवान जग्गनाथ का पसंदीदा पोड़ा पीठा खाने के लिए वह रस्ते में एक बार रुकते भी हैं. ओडिसा में बनने वाले इस मीठे डिश को आपको ज़रूर टेस्ट करना चाहिए.
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