Eid or Eid-ul-Fitr ईद या ईद उल फ़ित्र मुस्लिम लोगों का सबसे बड़ा पर्व या त्यौहार होता है। इस दिन को पुरे विश्व के मुस्लिम समुदाय के लोग बहुत ही धूम-धाम से मनाते हैं। खासकर मुस्लिम 3 मुख्य त्यौहार मनाते हैं – ईद उल फ़ित्र, ईद उल जुहा, ईद के मिलाद।


ईद उल फ़ित्र के त्यौहार को रमदान का अंतिम समय होता है। रमदान मुस्लिमलोगों का एक पवित्र माह होता है उपवास रखने के लिए। रमदान के लिए, सभी मुसलमान लोग पुरे महीने सभी दिन रमज़ान के चन्द्रमा दिखने तक उपवास रखते हैं।
मुस्लिम समुदाय या कुरान के अनुसार यह मनना है की रमज़ान के माह में उपवास रखने से आत्मा का शुद्धिकरण होता है। साथ ही यह भी मानना है कि इस महीने में इस रस्म को निभाने से पूरा जीवन सुख-शांति से गुज़रता है।
इन उपवास के दिनों को सभी मुस्लिम भक्त या लोग समय अनुसार नमाज़ (पवित्र कुरान को पढ़ते हैं) जिसमें वो गरीबों को खाना खिलने और उनकी मदद करने के सुविचारों को और भी अच्छे से समझते हैं।
रमज़ान के माह के ख़त्म होने के बाद सभी अपने रोजा (उपवास) को बंद करते हैं। इसी के अगले दिन से सभी लोग ईद का उत्सव मनाने लगते हैं। यह दिन शहवाल के माह के पहले दिन पड़ता है। इस दिन को दुनिया भर के मुस्लिम बहुत ही बड़े पैमाने में मनाते हैं।
ईद मनाने के कारण-


इस्लामिक कैलेंडर या हिजरी (Hijri Calendar ) में रमजान के महीने को साल का नौवां महीना माना गया है जो बहुत ही पाक (पवित्र) महीना होता है। इस पूरे महीने दीनवाले लोग रोजा रखते हैं और रमजान के आखिरी दिन यानी आखिरी रोजा चांद को देखकर खत्म किया जाता है। ईद मुबारक चांद शाम को दिखने पर अगले दिन ईद का त्यौहार मनाने की परंपरा है। ईद को लोग ईद-उल-फितर नाम से भी जानते हैं। लेकिन यह परंपरा कैसे शुरू हुई इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है-
कहा जाता है कि हमारे पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में शानदार विजय हासिल की थी। इसी युद्ध को जीतने की खुशी में लोगों ने ईद का त्योहार मनाना शुरू कर दिया था।  624 ईस्वी में पहली बार ईद उल फित्र मनाया गया था। 

ईद-उल-फितर पर निबंध | Essay on Eid-ul-Fitr

ईद मुस्लमानों का एक महत्वपूर्ण त्योहार है । मुसलमानों के बारह महीनों में एक महीने का नाम रमजान है । रमजाने का महीना बड़ा ही पवित्र माना जाता है । इस्लाम धर्म में पवित्र रमजान के पूरे महीने रोजे अर्थात् उपवास रखने के बाद नया चांद देखने के अवसर पर ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है । यह रोजा तोडने के त्योहार के रूप में भी लोकप्रिय है । यह त्योहार रमजान के अंत में मनाया जाता है ।
मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए यह अवसर भोज और आनंद का होता है । फितर शब्द अरबी के ‘फतर’ शब्द से बना । जिसका अर्थ होता है टूटना । फितर शब्द का एक अन्य अर्थ भी होता है जो फितरह शब्द से निकलता है । जिसका अर्थ होता है भीख । अन्य इस्लामी त्योहारों की तरह रमजान एक दिन विशेष पर नहीं आता है । यह इस्लामी केलेंडर का नौवां महीना होता है । इस प्रकार यह पूरा माह ही त्योहारों की तरह होता है । इबादत या प्रार्थना, भोजन और मेल-मिलाप इस त्योहार की प्रमुख विशेषता है ।

इस दिन की रस्मों में सुबह सबसे पहले नहाना, नए कपड़े पहनना,सुगंधित इत्र लगाना, ईदगाह जाने से पहले खजूर खाना आदि मुख्य है । आमतौर पर पुरुष सफेद कपड़े पहनते है । सफेद रंग पवित्रता और सादगी का प्रतीक है । इस पवित्र दिन पर बड़ी संख्या में मुस्लिम अनुयायी सुबह जल्दी उठकर ईदगाह, जो ईद की विशेष प्रार्थना के लिए एक बड़ा खुला मैदान होता है, में इबादत ओर नमाज अदा करने के लिए इकट्ठे होते हैं ।
नमाज से पहले सभी अनुयायी कुरान में लिखे अनुसार, गरीबों को अनाज की नियत मात्रा दान देने की रस्म निभाते हैं । जिसे फितर देना कहा जाता है । फितर या एक धर्मार्थ उपहार है, जो रोजा तोडने के उपलब्ध में दी जाती है । इसके बाद इमाम द्वारा ईद की विशेष इबादत और दो रकत नमाज अदा करवाई जाती है । ईदगाह में नमाज की व्यवरथा इस त्योहार विशेष के लिए होती है । अन्य दिनों में नमाज मरिजदों में ही अदा की जाती है ।
ईद खुशी का दिन है । यह हमें मिल-जुलकर रहना सिखाती है । ईद की यह शिक्षा ग्रहण कर लेने पर जीवन और भी आनन्दमय हो जायेगा।

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