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Why do we celebrate christmas - क्रिसमस को बड़ा दिन क्यूं कहते हैं ?
भारत मे कई बडे़ त्योहार मनाए जाते हैं जिसमें से क्रिसमस या बड़ा दिन ईसा मसीह के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है। आज कल क्रिसमस ईसाइयों का नहीं बल्कि गैर ईसाइयों का भी पर्व बन गया है। दुनिया भर के अधिकतर देशों में यह २५ दिसम्बर को मनाया जाता है। क्रिसमस की पूर्व संध्या यानि 24 दिसंबर को ही जर्मनी तथा कुछ अन्य देशों में इससे जुड़े समारोह शुरु हो जाते हैं।
क्या आप भी क्रिसमस मनाते हैं? अगर हां, तो क्या आपके मन में कभी यह सवाल नहीं उठा कि क्रिसमस को बड़ा दिन क्यूं कहते हैं? भारत में क्रिसमस को बड़ा दिन कहने के पीछे कई अलग अलग मान्यताएं प्रचलित है। कहा जाता है कि पहले इसे रोमन उत्सव के रूप में मनाया जाता था इस दिन लोग एक दूसरे को ढेर सारे उपहार देते थे।
जब धीरे-धीरे ईसाई सभ्यता पनपने लगी तब भारत में यह दिन मकर संक्रान्ति के रूप में मनाया जाने लगा। इसके अलावा बड़े दिन के पीछे प्रभू ईसा के जन्म से जुड़ी कई कथाएं भी प्रचलित हैं। 25 दिसंबर यीशु मसीह के जन्म की कोई ज्ञात वास्तविक जन्म तिथि नहीं है।
एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था भारत में इस तिथि को एक रोमन पर्व यामकर संक्रांति से संबंध स्थापित करने के आधार पर चुना गया है जिसकी वजह से इसे बड़े दिन के नाम से मनाया जाने लगा। वैसे तो पूरी दुनिया में इसे 25 दिसंबर को मनाया जाता है मगर जर्मनी में 24 दिसंबर को ही इससे जुडे समारोह शुरू हो जाते हैं।
क्रिसमस के दिन संता क्लॉज का भी अपना अलग महत्व है, कहते हैं इस दिन सांता क्लॉज बच्चों के लिए ढेर सारे खिलौने और चॉकलेट ले कर आते हैं। क्या आपको को पता है कि लाल रंग के कपडे़ पहने संता क्लॉज को क्रिसमस का पिता भी बोला जाता है जो क्रिसमस वाले दिन ही आते हैं। आपको एक दिलचस्प बात बताएं कि ईसा मसीह के जन्म की कहानी का सांता क्लाज की कहानी से कोई लेना देना नहीं है।
कहते हैं कि तुर्किस्तान के एक शहर के बिशप संत निकोलस सांता क्लॉज बन कर वहां पर बसे गरीब और बेसहारा बच्चों को तोहफे दिया करते थे। अब क्रिसमस को आने में कुछ ही दिन बचें है बाजारों में क्रिसमस गिफ्ट, कार्ड,, सांता क्लॉज की टोपी, सजावटी सामग्री और केक मिलने भी शुरू हो गए है।
क्या आप भी क्रिसमस मनाते हैं? अगर हां, तो क्या आपके मन में कभी यह सवाल नहीं उठा कि क्रिसमस को बड़ा दिन क्यूं कहते हैं? भारत में क्रिसमस को बड़ा दिन कहने के पीछे कई अलग अलग मान्यताएं प्रचलित है। कहा जाता है कि पहले इसे रोमन उत्सव के रूप में मनाया जाता था इस दिन लोग एक दूसरे को ढेर सारे उपहार देते थे।
जब धीरे-धीरे ईसाई सभ्यता पनपने लगी तब भारत में यह दिन मकर संक्रान्ति के रूप में मनाया जाने लगा। इसके अलावा बड़े दिन के पीछे प्रभू ईसा के जन्म से जुड़ी कई कथाएं भी प्रचलित हैं। 25 दिसंबर यीशु मसीह के जन्म की कोई ज्ञात वास्तविक जन्म तिथि नहीं है।
एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था भारत में इस तिथि को एक रोमन पर्व यामकर संक्रांति से संबंध स्थापित करने के आधार पर चुना गया है जिसकी वजह से इसे बड़े दिन के नाम से मनाया जाने लगा। वैसे तो पूरी दुनिया में इसे 25 दिसंबर को मनाया जाता है मगर जर्मनी में 24 दिसंबर को ही इससे जुडे समारोह शुरू हो जाते हैं।
क्रिसमस के दिन संता क्लॉज का भी अपना अलग महत्व है, कहते हैं इस दिन सांता क्लॉज बच्चों के लिए ढेर सारे खिलौने और चॉकलेट ले कर आते हैं। क्या आपको को पता है कि लाल रंग के कपडे़ पहने संता क्लॉज को क्रिसमस का पिता भी बोला जाता है जो क्रिसमस वाले दिन ही आते हैं। आपको एक दिलचस्प बात बताएं कि ईसा मसीह के जन्म की कहानी का सांता क्लाज की कहानी से कोई लेना देना नहीं है।
कहते हैं कि तुर्किस्तान के एक शहर के बिशप संत निकोलस सांता क्लॉज बन कर वहां पर बसे गरीब और बेसहारा बच्चों को तोहफे दिया करते थे। अब क्रिसमस को आने में कुछ ही दिन बचें है बाजारों में क्रिसमस गिफ्ट, कार्ड,, सांता क्लॉज की टोपी, सजावटी सामग्री और केक मिलने भी शुरू हो गए है।
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