टाइटैनिक जहाज का इतिहास – Titanic Ship History

‘ओलिंपिक क्लास’ वर्ग में टाइटैनिक जहाज के साथ और दो जहाजों का भी नाम शामिल है। इसका निर्माण ‘वाइट स्टार लाइन’ ने बेलफ़ास्ट के हारलैंड और वुल्फ शिपयार्ड में करवाया था।
उन तीनो जहाजो में से ओलिंपिक जहाज का निर्माण 16 दिसम्बर 1908 को शुरू किया गया था और टाइटैनिक जहाज के निर्माण का काम 31 मार्च 1909 में शुरू किया गया था। यह सभी जहाजे अपने समय की सबसे भव्य और शानदार जहाजे थी। लेकिन उन सब जहाजो में टाइटैनिक जहाज सबसे बड़ी, सबसे तेज और सबसे शानदार थी।

लेकिन तीन साल के बाद में टाइटैनिक का पूरी तरह से तैयार हो गया। और साउथहैंपटन से यात्री लेकर टाइटैनिक जहाज ने 2200 यात्रियों के साथ 10 अप्रैल 1912 को अपना पहला सफ़र शुरू हो गया। उस जहाज में कई तरह के लोग थे। सभी लोग एक अच्छी जिंदगी जीने के लिए अमेरिका जा रहे थे।
उनके सफ़र के दौरान पाचवे दिन टाइटैनिक जहाज अटलांटिक महासागर की और जा रहा था। 14 अप्रैल 1912 को रविवार की रात में समुन्दर काफी शांत था, और आसमान में चाँद भी नहीं था और इसलियें जहाज के कप्तान को सामने से आनेवाला बर्फ का पर्वत दूर से दिखायी नहीं दिया।
लेकिन रात में करीब 11.40 मिनट पर खतरे की घंटी बजी और टेलीफोन पर कप्तान को बताया गया की जहाज के रास्ते में एक बहुत ही बड़ा बर्फ का पर्वत खड़ा है। लेकिन जब तक यह जानकारी मिल चुकी थी तब तक बहुत देर हो चुकी थी क्यों की जहाज उस वक्त किसी भी समय बर्फ से टकराने वाला था।
वो बुरी खबर सुननें के 40 सेकंड के अन्दर ही जहाज बर्फ से टकरा गया। जैसे ही जहाज बर्फ से टकरा गया उसके साथ ही जहाज में सभी तरफ़ छेद होने शुरू हो गए।
टाइटैनिक के मुख्य नौसेना वास्तुकार थॉमस एंड्रू ने जहाज की बुरी हालत को देखकर जहाज के कप्तान स्मिथ को कहा की टाइटैनिक किसी भी समय डूब सकता है। जहाज के आगे के हिस्से के जो कमरे थे वो पूरी तरह से टूट चुके थे और उनमे पानी भी जा चूका था।
तीन घंटे के भीतर ही टाइटैनिक जहाज अटलान्टिक समुन्दर में डूब चूका था और वो समुन्दर के गहराई में चार किमी तक निचे चला गया था। इस दुर्घटना में करीब 1500 से भी अधिक लोग मारे गए।
टाइटैनिक जहाज के डूबने की खबर सभी तरफ़ फ़ैल गयी। इस घटना पर अनगिनत क़िताबे लिखी गयी, नाट्य और फिल्मे बनायीं गयी। इस घटना की जानकारी संग्रहालय और प्रदर्शनों के माध्यम से लोगो तक पहुचाई गयी।
टाइटैनिक के दुर्घटना को आज 100 साल से भी अधिक समय बीत चूका है। लेकिन इस टाइटैनिक को आज भी लोग याद करते है। जिस दिन वो दुर्घटना हुई उस दिन को कोई नहीं भूल सकता।
14 अप्रैल 1912 का वो दिन इतिहास में दुखद दिन माना जाता है। उस काली रात में कई लोगो को अपनी जान खोनी पड़ी।
उस रात 1500 से भी अधिक लोग मारे गए। इस घटना पर हजारों क़िताबे लिखी गयी। अगर किसी को इतिहास में रुची हो तो वो इन किताबो में से टाइटैनिक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकता है।

Amazing Facts about Titanic History in Hindi – टाइटैनिक जहाज दुर्घटना की स्टोरी व रोचक तथ्य

1. जब टाइटैनिक बनकर तैयार हुआ तब यह दुनिया की सबसे बड़ी चलने वाली चीज थी. यह 882 फीट यानि फुटबाॅल के 3 मैदान जितना लंबा और 17 माले की बिल्डिंग जितना ऊँचा था. यदि इसे सीधा खड़ा कर दिया जाता तो यह उस समय की हर इमारत से ऊँचा होता.
2. Titanic जहाज का पूरा नाम था ‘RMS Titanic’ (RMS stands for Royal Mail Ship). इसे बनाने वाली कंपनी का नाम था ‘White Star Line’.
3. टाइटैनिक जहाज नार्थ आयर्लैंड के बेलफास्ट में 31 march, 1909 को तीन हजार लोगो की टीम ने बनाना शुरू किया था. 26 महीनों बाद 31 may, 1911 को यह बनकर तैयार हुआ. इसे बनाते समय 246 लोगों को चोट लगी और 2 लोगों की मौत हुई. 31 मई, 1911 को जब यह पूरा बनकर तैयार हुआ तब इसे देखने के लिए 1 लाख लोग आए थे.
4. 1912 में टाइटैनिक बनाने वाले, कुशल कारीगरों को एक हफ्ते के 10 डाॅलर व अकुशल कारीगरों को एक हफ्ते के 5 डाॅलर मिलते थे.
5. 10 April, 1912 को टाइटैनिक इंग्लैंड के साउथम्पटन से न्यूयार्क की तरफ अपनी पहली और आखिरी यात्रा के लिए रवाना हुआ. यह रास्ते में दो जगह रूका. Cherbourg, northern France में और Cobh, Ireland में. सफर के चौथे दिन यह उत्तरी अटलांटिक सागर में एक हिमपर्वत से टकरा गया. तब यह जमीन से 640 किलोमीटर दूर था.
6. इतिहास में Titanic अकेला ऐसा जहाज हैं जो Icebarg (हिमखंड) के टकराने से डूबा. 14 April, 1912 की रात 11 बजकर 40 मिनट पर टाइटैनिक उत्तरी अटलांटिक सागर में बर्फ के एक बड़े से टुकड़े से टकराया था. (आप ऊपर Iceberg की और जहाँ से जहाज की टक्कर हुई थी वो फोटो देख सकते हो लाल सर्कल वाली जगह से जहाज में टक्कर के बाद पानी भरना शुरू हुआ था). टक्कर के 2 घंटे 40 मिनट बाद यह पूरी तरह डूब चुका था. इसके डूबने की गति 16 किलोमीटर प्रति घंटा थी और इसे समुंद्र की आखिरी सत्तह तक पहुंचने में मात्र 15 मिनट लगी.

7. जब आफिसर्स को आइसबर्ग दिखाई दिया तब उनके पास action लेने के लिए महज 37 second बचे थे. Iceberg दिखते ही 1st officer ‘Murdoch’ ने जहाज को left मोड़ने का और इंजन रूम को इंजन रिवर्स चलाने का आर्डर दिया और जहाज को left मोड़ भी दिया गया था लेकिन ये उस आइसबर्ग से बचने के लिए काफी नही था. यदि 30 second और पहले पता लग जाता तो शायद टाइटैनिक को बचाया जा सकता था.
8. Iceberg थोड़ा पहले भी दिखाई दे जाता लेकिन टाइटैनिक के क्रू मेंबर के पास दूरबीन नही थी. ये एक लाॅकर में रखी थी जिसकी चाबी गुम हो गई थी.
9. जब Titanic ने emergency signal भेजे, तब Californian नाम का जहाज उसके सबसे नजदीक था. लेकिन टाइटैनिक का wireless operator लगभग खराब हो चुका था. ऐसा माना जाता है कि यदि कैलीफोर्नियन का रिप्लाई आ जाता तो ओर ज्यादा जान बचाई जा सकती थी.
10. जहाज के धीरे-धीरे डूबने की खबर मिलने के बावजूद भी इसके म्यूजिशियन आखिरी साँस तक गाना बजाते रहे ताकि वो और कुछ समय बाद मरने वाले लोग अपने आखिरी पलों को खुशी से बिता सके.
11. टाइटैनिक जहाज पर डूबने वालो में सबसे ज्यादा पुरूष थे. क्योंकि इस मुश्किल की घड़ी में कुछ समझदार लोग निकलकर आगे आए और लोगो को किश्तियों में बैठाते समय ‘महिला और बच्चे पहले’ ये प्रोटोकाॅल फाॅलो किया गया. जहाज पर मौजूद नौ कुत्तों में से दो कुत्ते भी जिंदा बचा लिए गए थे.
12. लाइफबोट, 1st class की टिकट लेने वाले लोगों के सबसे नजदीक थी. इसलिए 1st class के 60%, 2nd class के 42% और 3rd class के सिर्फ 25% यात्री जिंदा बच पाए.
13. Titanic को 64 lifeboats (छोटी किश्तियाँ) ले जाने के लिए डिजाइन किया गया था. लेकिन 20 लाइफबोट ही ले जाई गई ये सभी लोगों को बचाने के लिए काफी नही थी लेकिन यदि सभी लाइफबोट पूरी तरह से भरी जाती तो 1178 लोगो की जान बचाई जा सकती थी, जबकि 706 ही बच पाए. कारण ये रहा, कि कुछ किश्तियाँ थोड़े से लोग ही लेकर भाग गए. जैसे:- लाइफबोट 1 में 40 लोग आ सकते थे लेकिन सात क्रू मेंबर और पाँच पैसेंजर इसे लेकर भाग गए. वैसे ही लाइफबोट 7 में 65 लोग आ सकते थे लेकिन इसे भी 24 लोग ही लेकर चल दिए.
14. जिस जगह पर टाइटैनिक डूबा था, वहाँ पानी का तापमान -2°C था. जिसमें कोई भी व्यक्ति 15 मिनट से ज्यादा जिंदा नही रह पाया.
15. एक अनुमान के अनुसार जहाज पर 2,222 लोग सवार थे. जिनमें से 1314 यात्री और 908 क्रू मेंबर थे. इनमें से 1500 से ज्यादा आदमी डूब गए और 706 बच गए, अभी तक इनमें से 337 लोगो की ही लाशें मिल पाई है.
16. Titanic के यात्रियों के पास कैश, ज्वैलरी समेत 60 लाख डाॅलर का सामान था.
17. 13 नवविवाहित जोड़े टाइटैनिक पर हनीमून मनाने के लिए आए थे.

18. टाइटैनिक के बोर्ड पर हर दिन ‘Atlantic Daily Bulletin’ समाचार पत्र प्रकाशित होता था. इसमें न्यूज, विज्ञापन, स्टाॅक की कीमतें, घोड़ों की रेस के परिणाम से लेकर दिन के मेन्यू तक सब कुछ छपता था.
19. Titanic में लगी सीटी को 16 किलोमीटर दूर तक सुना जा सकता था.
20. टाइटेनिक पर यात्रियों और स्‍टॉफ को खाने के लिये 39,000 किलो मीट, 40 हजार अंडे, 40 टन आलू, 1,590 किलो प्‍याज, 36,000 सेब मौजूद थें. जहाज पर हर रोज 63,000 लीटर पानी की खपत्त होती थी.
21. Full load होने के बाद Titanic का वजन 46,326 टन था (करीब 4 करोड़ 63 लाख 26 हजार किलो). इतने वजन के बावजूद भी यह 42 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता था.
22. टाइटैनिक पर एक दिन में 600 टन यानि 6 लाख किलो कोयला जलाया जाता था. 176 आदमी अपने हाथों से ये कोयला भठ्ठी में डालते थे. हर 24 घंटे में 1 लाख किलो राख समुंद्र में बहाई जाती थी.
23. जहाज का इंजन 46,000 हार्स पाॅवर की ऊर्जा पैदा करता था. यह boeing 777 विमान के इंजन की आधी है.
24. Titanic की चार चिमनियां थी, इनमें से सिर्फ तीन से धुआं निकलता था. चौथी चिमनी नकली थी ये जहाज को ओर मजबूत व खूबसूरत दिखाने के लिए लगाई गई थी.
25. दिन 1 Sept. 1985, आखिर डूबने के 73 साल बाद Titanic का मलबा ढूंढ ही लिया गया. यह समुंद्र में 12,600 फीट की गहराई पर मिला.

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