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अगर एक कागज़ को बीच में से 42 बार मोड दें, तो क्या आप चांद पर पहुँच सकते है ?

अगर एक कागज़ को बीच में से 42 बार मोड दें, तो क्या आप चांद पर पहुँच सकते है ?

आपने यह अक्सर सुना होगा कि एक कागज़ के टुकड़े को बीच में से 7 जा 8 बार से ज्यादा नही मोड़ा जा सकता है। यह बात बिलकुल सही भी है क्योंकि किसी साधारण कागज़ के टुकड़े को 7वीं जा 8वीं बार मोड़ते समय जा तो वो बहुत छोटा हो जाता है जा फिर कागज़ में खिचाव इतना हो जाता है कि उसे मोड़ना असंभव हो जाता है।


पर अगर एक कागज़ के टुकड़े को 7 जा 8 बार से ज्यादा मोड़ना संभव हो जाए तो जानते है क्या होगा? कागज़ को सिर्फ 42 बार मोड़ देने से उसकी मोटाई पृथ्वी और चंद्रमां के बीच की दूरी (3 लाख 84 हज़ार कि.मी.) से भी ज्यादा हो जाएगी !

आइए जानते हैं कैसे ?
एक साधारण कागज़ की मोटाई एक सेंटीमीटर के 100वें हिस्से जितनी होती है यानि कि 1 मिलीमीटर का 10वां हिस्सा (0.1 मिलीमीटर)।
कागज़ को 1 बार मोड़ने से उसकी मोटाई 2 गुणा हो जाएगी, 2 बार मोड़ने से 4 गुणा, 3 बार मोड़ने से 8 गुणा और 4 बार मोड़ने से 16 पेज़ों जितनी मोटाई हो जाएगी।
कागज़ को इसी तरह मोड़ते जाने से 9 बार मोड़ने पर कागज़ की मोटाई 512 गुणा हो जाएगी यानि कि एक मोटी किताब जितनी। 13 बार मोड़ने पर कागज़ की मोटाई एक ढ़ाई फुट के टेबल जितनी हो जाएगी।20 बार मोड़ने पर 0.1 मिलीमीटर मोटाई वाले कागज़ की मोटाई कुतुबमीनार ( 72.5मीटर ) से भी 30 मीटर ज्यादा हो जाएगी।
इसी तरह से 30 बार मोड़ने पर कागज़ की मोटाई 107 किलोमीटर और 42 बार मोड़ने पर 4 लाख 39 हज़ार 804 किलोमीटर हो जाएगी जो कि पृथ्वी और चांद के बीच की दूरी से भी 55 हज़ार किलोमीटर ज्यादा है !
अब अगर कागज़ को 42 से ज्यादा बार मोड़ा जाए तो क्या होगा?
– 51 बार मोड़ देने से कागज़ पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी जितना मोटा हो जाएगा।
– 94 बार मोड़ देने से कागज़ अब तक के ज्ञात ब्रह्मांड जितना मोटा हो जाएगा।
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