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उपवास रखने और चरण छूकर प्रणाम करने के बहुत से हैं फायदे, क्या आप जानते हैं ?

उपवास रखने और चरण छूकर प्रणाम करने के बहुत से हैं फायदे, क्या आप जानते हैं ?

भारत प्राचीन काल से ही परम्पराओं का देश रहा है. प्राचीन काल की कुछ परम्पराओं का लोग आज भी पालन करते हैं. हमारी परम्पराएं सदियों पुरानी हैं और हर परमपरा का सम्बन्ध हमारी आस्था से जुड़ा हुआ है. आज के समय ज्यादातर लोग इन परम्पराओं को अंधविश्वास मानते हैं, जबकि आज भी बहुत से लोग इनको निभा रहे हैं. आज हम आपको बतायेंगे इन परम्पराओं को निभाने से हमे किस तरह का लाभ मिल सकता है. आइए जानते हैं ऐसी ही परंपराओं के बारे में, सबसे पहले हम व्रत या उपवास की बात करेंगे.




आध्यात्मिक और धार्मिक साधना के लिए प्राचीन समय से ही उपवास रखे जाते हैं. आज के दौर में लोग इसे सिर्फ श्रद्धा या अन्धविश्वास से जोड़कर देखते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं? व्रत आपकी Health के लिए कितने जरुरी हैं? किस तरह उपवास रखने से आपकी आयु बढ़ सकती है? यह बात हम ऐसे ही नहीं कह रहे इसका दावा Science भी करता है.

उपवास रखने से फायदे –

महीने में कम से कम 3 बार उपवास रखने से हमारा Digestive System मजबूत होता है. दरअसल हमारा stomach और liver एक मशीन की तरह है. जिस तरह आप किसी मशीन को दिन रात इस्तेमाल नहीं कर सकते. ठीक उसी तरह अच्छी Health के लिए इन्हे आराम देना ज़रूरी है. उपवास रखने से बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढती है. न्यूराल्जिया, कोलाइटिस, थकान, कब्ज, सिरदर्द, गैस होने के Chances कम होते हैं.

चरण छूने से होने वाले लाभ:

1. अपने से बड़ों का अभिवादन करने के लिए चरण छूने की परंपरा बहुत पहले से भारत में मानी जाती है. चरण छूने का मतलब है पूरी श्रद्धा के साथ किसी के आगे झुक जाना.


2. जब हम अपने से किसी बड़े व्यक्ति के पैर छूते हैं, तो आशीर्वाद देने के लिए उनका हाथ हमारे सिर के उपरी भाग को और हमारा हाथ उनके चरण को स्पर्श करता है. ऐसा कहा जाता है कि इससे उस व्यक्ति की पॉजिटिव एनर्जी आशीर्वाद के रूप में हमारे शरीर में प्रवेश करती है.

3. इसका Scientific theory यह है कि न्यूटन के नियम के अनुसार, दुनिया में सभी चीजें गुरुत्वाकर्षण बल के कारण एक दूसरे की ओर आकर्षित होती हैं. हमारे शरीर पर भी यही नियम लागू होता है. हमारे सिर को उत्तरी ध्रुव (North Pole ) और पैरों को दक्षिणी ध्रुव (South Pole) माना गया है.

4. इसका मतलब यह हुआ कि गुरुत्व ऊर्जा (Gravitational Energy) या चुंबकीय ऊर्जा (Magnetic Energy) हमेशा उत्तरी ध्रुव से प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव की ओर Flow होकर अपना एक Cycle पूरा करती है.
5. शरीर में उत्तरी ध्रुव (सिर) से Positive Energy प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव (पैरों) की ओर प्रवाहित होती है. दक्षिणी ध्रुव यानी की पैर पर यह ऊर्जा बहुत अधिक मात्रा में स्थिर रहती है. पैरों की ओर ऊर्जा का केंद्र बन जाता है. पैरों से हाथों द्वारा इस ऊर्जा के ग्रहण करने को ही हम ‘चरण स्पर्श’ कहते हैं.

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