आज दुन‍ियाभर में लेबर डे यानी मजदूर दिवस मनाया जा रहा है। आज ही के दिन दुनिया के मजदूरों के अनिश्चित काम के घंटों को 8 घंटे में तब्दील क‍िया गया था। इस दिन देश की कई कंपनियों में छुट्टी होती है। भारत ही नहीं, दुनिया के करीब 80 देशों में इस दिन नैशनल हॉल‍िडे होता है। गूगल ने भी आज अपना डूडल लेबर डे को ही समर्पित क‍िया है। कैसे हुई मजदूर द‍िवस की शुरुआत |


मजदूर दिवस का इतिहास

1. अंतरराष्‍ट्रीय तौर पर मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई थी। 
2. अमेरिका के मजदूर संघों ने मिलकर तय किया कि वे 8 घंटे से ज्‍यादा काम नहीं करेंगे। इसके लिए संगठनों ने हड़ताल की। 
3. हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम ब्लास्ट हुआ जिससे निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोली चलाई। इस घटना में कई मजदूरों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। 
4. इसके बाद 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ऐलान किया गया कि हेमार्केट नरसंघार में मारे गए निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा। 
5. साथ ही इस दिन सभी श्रमिकों की छुट्टी रहेगी। 
6. भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्‍तान ने 1 मई 1923 को चेन्ने में की थी। उस समय इसे मद्रास दिवस के रूप में मनाया जाता था। 
7. संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत आने वाली अंतरराष्ट्रीय मजदूर संस्था दुनियाभर में लेबर क्लास के लोगों का जीवन स्तर सुधारने की दिशा में काम करती है। 
8. 1 मई के द‍िन यह संस्था दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रैली और मार्च निकालती है ताकि मजदूर उत्पीड़न, न्यूनतम मजदूरी कानून और अप्रवासी मजदूरों को लेकर जागरुकता फैलाई जा सके। 



मजदूर दिवस  क्यों मनाया जाता है


मजदूर का मतलब हमेशा गरीब से नहीं होता हैं, मजदूर वह ईकाई हैं, जो हर सफलता का अभिन्न अंग हैं, फिर चाहे वो ईंट गारे में सना इन्सान हो या ऑफिस की फाइल्स के बोझ तले दबा एक कर्मचारी. हर वो इन्सान जो किसी संस्था के लिए काम करता हैं और बदले में पैसे लेता हैं, वो मजदूर हैं.
हमारे समाज में मजदूर वर्ग को हमेशा गरीब इन्सान समझा जाता है, धुप में मजदूरी करने वालों को ही हम मजदूर समझते है. इसके विपरीत मजदूर समाज वह अभिन्न अंग है,
जो समाज को मजबूत व् परिपक्व बनाता है, समाज को सफलता की ओर ले जाता है. मजदूर वर्ग में वे सभी लोग आते है, जो किसी संस्था या निजी तौर पर किसी के लिए काम करते है और बदले में मेहनतामा लेते है. शारीरिक व् मानसिक रूप से मेहनत करने वाला हर इन्सान मजदूर है, फिर चाहे वह ईट सीमेंट से सना इन्सान हो या एसी ऑफिस में फाइल के बोझ तले बैठा एक कर्मचारी. इन्ही सब मजदूर, श्रमिक को सम्मान देने के लिए मजदूर दिवस मनाया जाता है.



मजदूर दिवस पर शायरी (Labour Day Shayari )


  • मैं मजदूर हूँ मजबूर नहीं
    यह कहने मैं मुझे शर्म नहीं
    अपने पसीने की खाता हूँ
    मैं मिट्टी को सोना बनाता हूँ
  • हर कोई यहाँ मजदूर हैं
    चाहे पहने सूट बूट या मैला
    मेहनत करके कमाता हैं
    कोई सैकड़ा कोई  देहला
    हर कोई मजदूर ही कहलाता हैं
    चाहे अनपढ़ या पढ़ा लिखा
  • जिसके कंधो पर बोझ बढ़ा
    वो भारत माँ का बेटा कौन
    जिसने पसीने से भूमि को सींचा
    वो भारत माँ का बेटा कौन
    वह किसी का गुलाम नहीं
    अपने दम पर जीता हैं
    सफलता का एक कण ही सही
    लेकिन हैं अनमोल जो मजदूर कहलाता हैं..

  • हर इमारत की नींव हैं
    अमीरों की तक़दीर हैं
    खून पसीना बहाकर अपना
    पूरा करते वो अमीरों का सपना
    दो वक्त की उसे मिले ना मिले
    पर उसी के हाथो करोड़ो की तक़दीर लिखे
    माना उसकी किस्मत हैं
    अभी नहीं हैं एशो आराम
    पर उसको ना भुलाना तुम
    ना बनाना बैगाना तुम
    देना उसे उसका हक़
    मजदूर हैं वह मेहनती शख्स
  • मेहनत उसकी लाठी हैं
    मजबूती उसकी काठी हैं
    बुलंदी नहीं पर नीव हैं
    यही मजदूरी जीव हैं.
  • सफलता के मार्ग में योगदान अनमोल हैं
    चाहे हो मालिक या कोई नौकर
    कोई ईकाई तुच्छ नहीं
    सबका अपना मान हैं
    कहने को एक छोटा लेबर ही सही
    पर उसी को रास्ते का ज्ञान हैं
    घमंड ना करना इस ऊंचाई का कभी
    तेरे कंधो पर इनके पसीने का भार हैं
  • मजदूर ऊँचाई की नींव हैं
    गहराई में हैं पर अंधकार में क्यूँ
    उसे तुच्छ ना समझाना
    वो देश का गुरुर हैं

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