जब कभी भी आपको किसी शक्तिशाली व्यक्तित्व को देखने की इच्छा हो तो आपके दिमाग में सबसे पहले नाम आता हैं चंद्र शेखर आजाद का।

चंद्र शेखर आजाद – एक महान युवा क्रांतिकारी जिन्होनें देश की रक्षा के लिए अपना प्राण भी न्यौछावर कर दिए। आजाद, भारत के एक ऐसे वीर सपूत थे जिन्होनें अपनी बहादुरी और साहस की कहानी खुद लिखी है।


चंद्रशेखर आजाद जीवन परिचय – Chandra Shekhar Azad Biography

कम उम्र से ही आजाद के भीतर देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी थी। भारत की आजादी में इस युवा क्रांतिकारी का अहम योगदान है।
जब भी किसी क्रांतिकारी की बात होती है तो चंद्र शेखर आजाद का नाम सबसे पहले जहन में आता है। वे भारत के युवा और उग्र स्वतंत्रता सेनानी थे Chandra Shekhar Azad – चंद्र शेखर आजाद का कहना था कि
”मैं जीवन की अंतिम सांस तक देश के लिए शत्रु से लड़ता रहूंगा।”
युवा क्रांतिकारी ने मरते दम तक अंग्रेजों के हाथ नहीं आने की कसम खाई थी और मरते दम तक वे अंग्रेजों के हाथ भी नहीं आए थे वे अपनी आखिरी सांस तक आजाद ही रहे और देश के लिए मर मिट गए। चंद्र शेखर आजाद ने यह भी कहा था कि –

”अभी भी जिसका खून ना खौला, वो खून नहीं पानी है जो देश के काम ना आए, वो बेकार जवानी है।”
 भारत के महान क्रांतिकारी चंद्र शेखर आजाद ने अटूट देश भक्ति की भावना और अपने साहस से स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई और कई लोगों को इस आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए उकसाया।
वीर सपूत चंद्र शेखर आजाद ने अपनी बहादुरी के बल पर काकोरी ट्रेन में डकैती डाली और वाइसराय की ट्रेन को उड़ाने की कोशिश भी की यही नहीं इस महान क्रांतिकारी ने लाला लाजपतराय की मौत का बदला लेने के लिए सॉन्डर्स पर गोलीबारी की इसके अलावा उन्होनें भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सभा का गठन किया।
वे भगत सिंह के सलाहकार और एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे चन्द्र शेखर आजाद ने गुलाम भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने के लिए अपन प्राणों की आहुति दी थी।

चंद्रशेखर आजाद के बारे में 15 रोचक तथ्य



1. चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को हुआ था। उनका वास्तविक नाम चन्द्रशेखर तिवारी था। 

2. उनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी था, जो बदर गांव, जिला-उन्नाव, उत्तर प्रदेश के निवासी थे। उनकी माँ का नाम जगरानी देवी था।

3. चंद्रशेखर आज़ाद का प्रारम्भिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित भाबरा गाँव में बीता। 

4. चंद्रशेखर आज़ाद, मात्र 17 वर्ष की आयु में क्रांतिकारी दल ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ में सम्मिलित हो गए। उन्होंने दल में प्रभावी भूमिका निभायी। 

5. चंद्रशेखर आज़ाद ने प्रसिद्ध ‘काकोरी कांड’ में सक्रिय भाग लिया। सांडर्स वध, सेण्ट्रल असेम्बली में भगत सिंह द्वारा बम फेंकना, वाइसराय की ट्रेन बम से उड़ाने की चेष्टा, सबके नेता वही थे। 

6. 1921 में जब महात्‍मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन प्रारंभ किया तो उन्होंने उसमे सक्रिय योगदान किया। 

7. चंद्रशेखर आज़ाद के ही सफल नेतृत्व में भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली की केन्द्रीय असेंबली में बम विस्फोट किया। 

8. चंद्रशेखर आजाद अपने साथ हमेशा एक माउज़र रखते थे। ये पिस्टल आज भी इलाहाबाद के म्यूजियम में रखी हुई है। 

9. चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों के हाथों ना मरने की कसम खाई थी और इसे निभाया भी। 

10. 27 फ़रवरी, 1931 को जब चंद्रशेखर आज़ाद अपने साथी सुखदेव राज के साथ एल्फ्रेड पार्क में बैठकर विचार–विमर्श कर रहे थे तो मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने उन्हें घेर लिया। बहुत देर तक आज़ाद ने जमकर अकेले ही मुक़ाबला किया। 



11. उन्होंने अपने साथी सुखदेवराज को पहले ही भगा दिया था। आख़िर में उनके पास केवल एक आख़िरी गोली बची। उन्होंने सोचा कि यदि मैं यह गोली भी चला दूँगा तो जीवित गिरफ्तार होने का भय है। उन्होंने आख़िरी गोली स्वयं पर ही चला दी। इस घटना में चंद्रशेखर आज़ाद की मृत्यु हो गई। 

12. जिस पार्क में चंद्रशेखर आजाद की मौत हुई थी उसका नाम बदलकर चंद्रशेखर आजाद पार्क रख दिया गया। 

13. चंद्रशेखर आज़ाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। उन्होंने साहस की नई कहानी लिखी। उनके बलिदान से स्वतंत्रता के लिए आंदोलन तेज़ हो गया। हज़ारों युवक स्‍वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।

14. आजाद सदैव एक शेर बोला करते थे “दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं. आजाद ही रहेंगे”। 

15. आज़ाद के शहीद होने के सोलह वर्षों के बाद 15 अगस्त सन् 1947 को भारत की आज़ादी का उनका सपना पूरा हुआ।

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