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बरमूडा त्रिकोण का 100% सच – Bermuda Triangle Facts and Myths in Hindi

बरमूडा त्रिकोण का 100% सच – Bermuda Triangle Facts and Myths in Hindi

बरमूडा त्रिकोण क्या है ? What is Bermuda Tirangle ?

बरमूडा त्रिकोण अटलांटिक महासागर का एक क्षेत्र है जहां पर हवाईजहाज़ और समुंद्री जहाज रहस्यमय रूप से लापता होने की बातें कही जाती है।
आधिकारिक रूप से बरमूडा ट्राएंगल जैसे किसी क्षेत्र का अस्तित्व नही है। पर आम धारणा के अनुसार यह क्षेत्र अटलांटिक महासागर में अमेरिका के दक्षिण में स्थित है। बरमूडा ट्राएंगल के तीन बिंदू बरमूडा द्वीप ,अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य का मियामी शहर और प्युर्टो रीको (Puerto Rico) राज्य का सान जुआन टापू है।

बरमुडा त्रिकोण का क्षेत्रफल लगभग 7 लाख वर्ग किलोमीटर है। इतना क्षेत्रफल राजस्थान, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के संयुक्त क्षेत्रफल से भी ज्यादा है।
Bermuda triangle का प्रभाव क्षेत्र निश्चित नही है। कई ऐसी दुर्घटनाएं हुई है जो बरमूडा ट्राएंगल के क्षेत्र से दूर थी पर फिर भी उन्हें इस ट्राएंगल के तथाकथित रहस्मई प्रभाव से जोड़ दिया गया है।

क्या बरमूडा त्रिकोण में सच में रहस्मई दुर्घनाएं होती हैं?

ऐसा बिलकुल भी नही है। अमेरिका के समुंद्र रक्षक विभाग के अनुसार इस क्षेत्र में होने वाली दुर्घनाएं किसी अन्य क्षेत्र में होने वाली दुर्घटनाओं से ज्यादा नही हैं।
इस क्षेत्र में वर्ष 1945 में होने वाली अमेरिकी सेना के हवाई जहाजों के लापता होने की दुर्घटना को अगर छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी दुर्घटनाओं के संतोषजनक और स्पष्ट कारण उपलब्ध हैं।
साल 2013 में एक संस्था World Wide Fund for Nature ने समुंद्री यात्रा के लिए सबसे खतरनाक स्थानों की लिस्ट जारी की थी जिसमें Bermuda triangle नही है। यह इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि यह क्षेत्र कोई रहस्मई और खतरनाक क्षेत्र नही हैं।
यदि बरमूडा त्रिकोण में होने वाली घटनाएं किसी अन्य क्षेत्र से ज्यादा नही तो फिर इस क्षेत्र को रहस्मई क्षेत्र क्यों कहा जाता है?
इसका मुख्य कारण एक तो वह लोग है जो अपने निजी स्वार्थ के लिए बरमूडा त्रिकोण से जुड़ी घटनाओं और तथ्यों को बढ़ा – चढ़ा कर पेश करते है और दूसरे वह लोग जिन्हें सनसनीखेज़ समाचारों और कहानियों में विश्वास होता है। जब तक ऐसी कहानियां और ऐसे लोग रहेगें तब तक बरमूडा त्रिकोण को रहस्य के रूप में ही जाना जाता रहेगा।

5 सितंबर 1945 को अमेरिकी नौसेना के टारपीडो वायुयानों की दुर्घटना

इस दुर्घटना को आप बरमूडा त्रिकोण के तथाकथित रहस्य की जनक कह सकते हैं। अगर यह घटना ना हुई होती तो शायद ही ‘बरमूडा त्रिकोण के रहस्य‘ जैसी बात कोई होती।
घटना कुछ इस तरह से है कि 5 सितंबर 1945 को अमेरिकी नौसेना के पांच टारपीडो विमान नियमित ट्रेनिंग के लिए उड़ान भरते हैं। उन्हें तट से 120 मील की दूरी तय करके वापिस आना था। जहां से उन्हें गुजरना था वह जगह बरमूडा त्रिकोण के क्षेत्र में आती थी।
पांचो पायलटों के उड़ान भरने के तकरीबन एक घंटे बाद कंट्रोल रूम ने मुख्य पायलट से संदेश प्राप्त किया कि वह कहीं खो गए हैं और उनके कंपास काम नही कर रहे। इसके बाद मुख्य पायलट का कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया।
इसके बाद कंट्रोल रूम को शाम को मुख्य पायलट का दूसरे पायलटों को दिया एक संदेश मिला जिस में वह बाकी चार पायलटो से कह रहा है – हमारे विमानों में ईधन खत्म हो गया है, सभी पायलट कूदने की तैयारी कर लें
कंट्रोल रूम के अधिकारियों ने यह संदेश पाते ही दो PBM-5 वायुयानों को उन की खोज़ के लिए भेजा। इनमें से एक में उड़ान भरते समय विस्फोट हो गया और दूसरा उन 5 जहाजों को खोज नही पाता।
इन दो PBM-5 वायुयानों के सिवाए एक मैरीनर फ्लाईग बोट को भी जहाजों की खोज़ के लिए भेजा गया। यह मैरीनर फ्लाईग बोट उड़ने के साथ – साथ समुंद्र में तैर भी सकती थी। पर इस मैरीनर फ्लाईग बोट के उड़ान भरने के कुछ समय के अंदर ही इसमें हवा में ही विस्फोट हो जाता है। इसका कोई भी अंश नही मिल पाया था। इसकी जानकारी नीचे समुंद्र में तैर रहे रहे एक समुंद्री जहाज ने थी कि उसने शाम 7 बज कर 50 मिनट पर आसमान में एक धमाका होते देखा था।
पांच हवाई जहाज़ो संबंधी एक दिन बाद एक महत्वपूर्ण सूचना जरूर प्राप्त हुई। उन पांचो हवाई जहाज़ो के थोड़ी दूर एक ओर जहाज़ भी उड़ा रहा था जिसके पायलट राबर्ट काक्स थे। राबर्ट काक्स ने संकट में फसे हवाई जहाज के मुख्य पायलट का संदेश प्राप्त किया था।
मुख्य पायलट ने राबर्ट काक्स को बताया था कि वे किसी छोटे द्वीप के ऊपर उड़ रहे हैं, उन्हे उसके अतिरिक्त कोई अन्य भूमि नज़र नही आ रही। बाद में इस हादसे की जांच करने वाले अधिकारियों ने पाया कि सभी जहाज़ अपने तय रूट पर नही थे क्योंकि अगर वह अपने तय रास्ते पर होते तो उन्हें एक द्वीप नही बल्कि कई द्वीप दिखने चाहिए थे।
इसके बाद उन पांचो टारपीडो जहांजो और उनके पायलटो का कुछ पता नही चल पाता। ना तो विमानों का थोड़ा बहुत मलबा मिलता है ओर ना ही पायलटों की लाशे।

कई महीने जांच करने के बाद अधिकारियों ने यह रिपोर्ट पेश की कि घटना का कोई स्पष्ट कारण नही पता फिर भी पायलटों का मार्ग से भटक जाना घटना का मुख्य कारण हो सकता है।
इस दुर्घटना को आप बरमूडा त्रिकोण के तथाकथित रहस्य की जनक कह सकते हैं। अगर यह घटना ना हुई होती तो शायद ही ‘बरमूडा त्रिकोण के रहस्य‘ जैसी बात कोई होती।
घटना कुछ इस तरह से है कि 5 सितंबर 1945 को अमेरिकी नौसेना के पांच टारपीडो विमान नियमित ट्रेनिंग के लिए उड़ान भरते हैं। उन्हें तट से 120 मील की दूरी तय करके वापिस आना था। जहां से उन्हें गुजरना था वह जगह बरमूडा त्रिकोण के क्षेत्र में आती थी।
पांचो पायलटों के उड़ान भरने के तकरीबन एक घंटे बाद कंट्रोल रूम ने मुख्य पायलट से संदेश प्राप्त किया कि वह कहीं खो गए हैं और उनके कंपास काम नही कर रहे। इसके बाद मुख्य पायलट का कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया।
इसके बाद कंट्रोल रूम को शाम को मुख्य पायलट का दूसरे पायलटों को दिया एक संदेश मिला जिस में वह बाकी चार पायलटो से कह रहा है – हमारे विमानों में ईधन खत्म हो गया है, सभी पायलट कूदने की तैयारी कर लें
कंट्रोल रूम के अधिकारियों ने यह संदेश पाते ही दो PBM-5 वायुयानों को उन की खोज़ के लिए भेजा। इनमें से एक में उड़ान भरते समय विस्फोट हो गया और दूसरा उन 5 जहाजों को खोज नही पाता।
इन दो PBM-5 वायुयानों के सिवाए एक मैरीनर फ्लाईग बोट को भी जहाजों की खोज़ के लिए भेजा गया। यह मैरीनर फ्लाईग बोट उड़ने के साथ – साथ समुंद्र में तैर भी सकती थी। पर इस मैरीनर फ्लाईग बोट के उड़ान भरने के कुछ समय के अंदर ही इसमें हवा में ही विस्फोट हो जाता है। इसका कोई भी अंश नही मिल पाया था। इसकी जानकारी नीचे समुंद्र में तैर रहे रहे एक समुंद्री जहाज ने थी कि उसने शाम 7 बज कर 50 मिनट पर आसमान में एक धमाका होते देखा था।
पांच हवाई जहाज़ो संबंधी एक दिन बाद एक महत्वपूर्ण सूचना जरूर प्राप्त हुई। उन पांचो हवाई जहाज़ो के थोड़ी दूर एक ओर जहाज़ भी उड़ा रहा था जिसके पायलट राबर्ट काक्स थे। राबर्ट काक्स ने संकट में फसे हवाई जहाज के मुख्य पायलट का संदेश प्राप्त किया था।
मुख्य पायलट ने राबर्ट काक्स को बताया था कि वे किसी छोटे द्वीप के ऊपर उड़ रहे हैं, उन्हे उसके अतिरिक्त कोई अन्य भूमि नज़र नही आ रही। बाद में इस हादसे की जांच करने वाले अधिकारियों ने पाया कि सभी जहाज़ अपने तय रूट पर नही थे क्योंकि अगर वह अपने तय रास्ते पर होते तो उन्हें एक द्वीप नही बल्कि कई द्वीप दिखने चाहिए थे।
इसके बाद उन पांचो टारपीडो जहांजो और उनके पायलटो का कुछ पता नही चल पाता। ना तो विमानों का थोड़ा बहुत मलबा मिलता है ओर ना ही पायलटों की लाशे।
कई महीने जांच करने के बाद अधिकारियों ने यह रिपोर्ट पेश की कि घटना का कोई स्पष्ट कारण नही पता फिर भी पायलटों का मार्ग से भटक जाना घटना का मुख्य कारण हो सकता है।

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