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चूहे चीजों को क्यों कुतरते हैं? गणेश जी का वाहन चूहा क्यों हैं ? जानें 11 मज़ेदार बातें

चूहे चीजों को क्यों कुतरते हैं? गणेश जी का वाहन चूहा क्यों हैं ? जानें 11 मज़ेदार बातें

चूहा एक छोटा सा प्राणी है जिसे हम भारतीय दो कारणों के कारण काफ़ी जानते है। एक तो यह कि ये हमारे घर का कोई समान जैसे कि कपड़े, किताबें और अनाज कुतर – कुतर ख़राब कर देता है और दूसरा यह हमारे देवता श्री गणेश महाराज जी की सवारी है।

आज हम आपको इस पोस्ट में चूहे से जुड़ी मज़ेदार बातें बताएंगे और यह भी कि क्यों भगवान गणेश जी की सवारी चूहे को बनाया गया है-

1. धरती पर चुहों की आबादी इंसानों से दस गुणा ज्यादा है। पांच – छह चुहे मिलकर एक आदमी का ख़ाना आसानी से चट कर सकते हैं।
2. एक चूहे – चूही का जोड़ा साल में 1000 बच्चे पैदा कर सकता है।
3. एक मादा चूहा दो महीने की उम्र में बच्चों को जन्म दे सकती है और हर तीन हफ्तों में 12 बच्चे पैदा कर सकती है।
4. एक चूहे का औसतन जीवन काल 1 से 2 साल तक होता है। पर अगर किसी चूहे की पूरी देखभाल की जाए तो वो 5 साल तक भी जी सकता है।
5. चूहे डेढ़ फुट तक लंबी छलांगे लगा सकते है और पानी में तैर भी सकते है।
6. English में चुहे को Mouse, Rat जा Mice कहते है। Mouse संस्कृत के शब्द मस (mus) से बना है जिसका अर्थ होता है – चोर।
7. चूहे चीजों को क्यों कुतरते हैं? दरासल चुहे के दांत बहुत तेज़ी से बढ़ते रहते है, अगर वो अपने इन दांतो को किसी चीज से ना घिसाएं तो साल भर में चुहों के दांत एक दो इंच तक बढ़ जाएंगे जो उनके जबड़े को फाड़ डालेंगे। मतलब कि कुतरना चूहों को मज़बूरी है शौक नहीं।
8. अमरीकी शोधकर्ताओं का कहना है कि चूहे तरह-तरह की आवाजें सुन कर गाना भी गा सकते हैं।
9. एक चूहे का दिल एक मिनट में औसतन 632 बार धड़कता है जबकि मनुष्यों का प्रति मिनट सिर्फ 60 से 100 बार।
10. शोधकर्ताओं का कहना है कि चूहे का मस्तिष्क भी कुछ-कुछ इंसानों की तरह ही व्यवहार करता है और उसमें भी सीखने की अदभुत क्षमता है।
11. चूहे ध्वनि की गति से भी तेज़ अल्ट्रासॉनिक तरंगे पैदा करते हैं जिनकी तीव्रता 50 से 100 किलोहर्ट्ज़ के बीच होती है। इंसानों के कान इस तीव्रता की ध्वनि तरंगें नही सुन सकते हैं। जब इन तरंगों को इस लायक बनाया गया कि इंसान उन्हें सुन सके, तो ये आवाजें सीटियों के जैसी थी।

गणेश जी का वाहन चूहा क्यों हैं ?

दोस्तो, हमारे हिंदु धर्म में प्रत्येक जीव और वस्तु में प्रमात्मा का वास माना गया है। हर जीव चाहे वो छोटा हो जा बड़ा उसमें एक जैसी आत्मा ही होती है। इसे दर्शाने के लिए हमारे ऋषि – मुनियों ने भिन्न – भिन्न जीवों को भिन्न – भिन्न देवताओं से जोड़ा, जैसे कि – सांप को महादेव से, गरूड़ और वराह (सुअर) को भगवान विष्णु से आदि।
भगवान गणेश के सिर हाथी का होने और उनकी सवारी चूहा होने का मतलब यही है कि भले ही दोनों आकार में एक दूसरे से भिन्न हैं पर आत्मा दोनों में एक जैसी ही है। उनमें भी प्रमात्मा का वास है।
उसके सिवाए भगवान गणेश बुद्धि के देवता भी है। जिस तरह से चूहा हर चीज़ की चीर – फाड़ करता है उसी तरह से हर मनुष्य को हर चीज़ का तर्क – वितर्क से विश्लेषण करना चाहिए।

गणेश पुराण के अनुसार गणेश जी का वाहन चूहा क्यों हैं ?

भगवान् श्री गणेश जी को समर्प्रित गणेश पुराण बताती है की गणेश जी का वाहन चुहा एक श्राप के कारण इनकी सवारी बना।
एक समय एक अर्द्ध – भगवान जिसका नाम ‘ क्रोंच ‘ था ने देवताओ के राजा इंद्र की सभा में गलती से अपना पैर मुनि वामादेव के पैरो पर रख दिया। मुनि को लगा की क्रोंच ने यह जान बुझकर किया है और उन्होंने उसे चूहा बनने का श्राप दे दिया।
क्रोंच मुनि के चरणों में गिर गया और इस श्राप का निवारण मांगने लगे। पर मुनि इस श्राप को वापिस नही ले सकते थे। उन्होंने इस श्राप को आशीष में बदलने के लिए क्रोचं को बताया की आने वाले समय में तुम शिव पुत्र गणेश के वाहन बन जाओगे।

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