हृदयाघात और डिमेंशिया के इलाज में चॉकलेट के कारगर होने को यूरोपीय संघ के दवा नियामक ने मंजूरी दे दी है. सबकुछ योजनाबद्ध चला तो चॉकलेट से बने ये कैप्सूल अगले साल तक बाजार में उपलब्ध भी होने लगेंगे.
शोधकर्ताओं का कहना है कि कोको में मौजूद फ्लेवेनॉल नाइट्रिक ऑक्साइड के स्नव में मददगार होता है, जो शरीर में खून का बहाव बढ़ाता है. ईयू नियामक ने इसके पोषक तत्वों के कारण इसे औषधीय भोजन कहा है. इसके अच्छे परिणाम के लिए एक व्यक्ति को कम से कम चार सौ ग्राम डार्क चॉकलेट डोज लेने की सलाह दी गई है. विशेषज्ञों ने फ्लेवेनॉल के शुद्धतम रूप को बरकरार रखते हुए फ्लो दवाएं बनाई हैं.
कैंब्रिज न्यूट्रास्यूटिकल्स के डॉक्टर एल्फ लिंडबर्ग कहते हैं कि धमनियों में लचीलापन बनाए रखना बेहद जरूरी है. ढलती उम्र में रक्तचाप पर हल्का सा दबाव भी हार्ट अटैक, स्ट्रोक, डिमेंशिया के खतरे को बढ़ा देता है. बढ़ा ब्लड प्रेशर काफी हद तक वाहिनियों में बढ़ती अकड़न के कारण होता है और इलाज के मौजूदा तरीकों में इसे नियंत्रित करने का कोई कारगर तरीका नहीं है.
डार्क चॉकलेट में मौजूद तत्व नाइट्रिक ऑक्साइड बढ़ाते हैं, जो धमनियों का लचीलापन बढ़ाने में कारगर होता है. इससे खून का भी बहाव बेहतर होता है.
मस्तिष्क को क्रियाशील बनाए:
डार्क चॉकलेट का सेवन मस्तिष्क को क्रियाशील बनाए रखने में भी मदद करता है. इसमें मौजूद फ्लेवेनॉल ढलती उम्र में बुजुर्गो की स्मरण शक्ति बढ़ाने और उनकी बोलचाल बेहतर करने में भी अहम भूमिका निभाता है.
सूरज से त्वचा को बचाए:
डार्क चॉकलेट में मौजूद फ्लेवेनॉल आपकी त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है. यह त्वचा को सूरज से होने वाले नुकसान से रक्षा करता है. यह त्वचा में खून का बहाव बढ़ाता है.
डार्क चॉकलेट के कई गुण
प्रोटीन 7.79 ग्राम
आयरन 11.9 मिली ग्राम
मैग्नीशियम 228 मिली ग्राम
वसा 42.63 ग्राम
जिंक 3.31 मिलीग्राम
पोटैशियम 715 मिलीग्राम
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