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अगर भाखड़ा नंगल डैम टूट जाए तो क्या होगा ?

अगर भाखड़ा नंगल डैम टूट जाए तो क्या होगा ?

भाखड़ा नंगल बांध भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है, जिसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई और बिज़ली उत्पादन है। इस बांध से जहां 1325 मेगावाट बिज़ली का उत्पादन होता है तो वही पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के 40 हज़ार वर्ग किलोमीटर में फैले खेतों को सिंचाई भी की जाती है।
आज हम आपको भाखड़ा नंगल बांध से जुड़े तथ्य बताएंगे और साथ ही यह भी कि अगर यह बांध टूट जाए तो कितनी तबाही मच सकती है?

निर्माण – भाखड़ा नांगल बांध का निर्माण 1948 में शुरू हुआ था और यह 1963 में पूरा हुआ। सन 1970 में यह पूरी तरह काम करने लगा था। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 22 अक्तूबर 1963 को इस बांध का उद्घाटन किया था और इसे देश का नया मंदिर बताया था।
स्थिती – भाखड़ा और नांगल बांध असल में दो अलग – अलग बांध है पर एक ही परियोजना का हिस्सा हैं। यह दोनो डैम पंजाब और हिमाचल प्रदेश के बॉडर पर बने हुए है। भाखड़ा डैम हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर ज़िले में भाखड़ा गांव में सतलुज नदी पर बनाया गया है और नांगल डैम इससे तकरीबन 10 किलोमीटर दूर पंजाब के नंगल में बनाया गया है।
नांगल डैम का कारण – भाखड़ा डैम नांगल डैम से ऊँचाई पर बना है और इसका सारा पानी नांगल डैम से होते हुए ही जाता है। नांगल डैम भाखड़ा डैम से आने वाले तेज़ बहाव को कम करता है। अगर किसी कारण भाखड़ा डैम को कोई नुकसान पहुँच जाए तो नंगल डैम पानी के भंडार को रोक सकता है और नुकसान से बचा सकता है।
ऊँचाई आदि – भाखड़ा डैम 226 मीटर ऊँचा है और इसकी दीवार की लंबाई 520 मीटर और दीवार की मोटाई 9.1 मीटर (30 फुट) है। यह टिहरी डैम (260 मीटर) के बाद भारत का दूसरा सबसे ऊँचा डैम है।
लागत – बांध को बनाने के लिए उस समय 245 करोड़ 28 लाख रूपए का खर्चा आया था, इसके ईर्द-गिर्द इतना कंकरीट लगा था कि संसार की सभी सड़को को दुबारा बनाया जा सकता है।
गोविंदसागर झील – भाखड़ा डैम जिस झील के पानी को रोक कर रखता है उसे गोविंदसागर झील कहते है, यह नाम सिक्खों के दसवें गुरू श्री गुरू गोविंद सिंह जी के नाम पर रखा गया है। यह झील 168.35 km² के क्षेत्र में फैली हुई है जिसमें 9.340 घनकिलोमीटर पानी होता है। इस झील को बनाने के लिए 341 गावों के लोगो को विस्थापित किया गया था।
हिस्सेदारी – भाखड़ा बांध राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की संयुक्त परियोजना है। इसमें राजस्थान की हिस्सेदारी 15.2 प्रतिशत है। राजस्थान को इंदिरा गांधी नहर द्वारा भाखड़ा बांध का पानी पहुँचाया जाता है।
पर्यटन – भाखड़ा बांध बहुत ही खूबसूरत जगह है, जो कई सैलानियों को अपनी ओर खींचता है, पर साल 2009 में सुरक्षा कारणों के चलते इस डैम पर आम लोगों के घूमने पर रोक लगा दी गई थी।

अगर भाखड़ा नंगल डैम किसी कारण टूट जाएं तो क्या होगा ?

वैसे तो दोनो बांधो को इतना मज़बूत बनाया गया है कि यह कभी नही टूट सकते। अगर एक डैम किसी कारण टूट जाए तो दूसरा भी नुकसान से बचा सकता है, पर दोनो डैम के टूट जाने से भयंकर तबाही मच सकती है। दोनों बांधों के टूट जाने से हरियाणा – पंजाब के कई निचलों इलाकों में पानी भर सकता है। अगर पानी का बहाव तेज़ हुआ तो यह आधे पंजाब, हरियाणा समेत पाकिस्तान के बड़े हिस्से को भी बहा देगा और लाखों लोग मारे जाएंगे। इसके सिवाए बिजली की जो किल्लत होगी वो अलग। सालों तक प्रभावित भूमि पर खेती नही जा सकेगी। ऐसे विनाश के बारे में सोचते ही डर लगने लगता है, इसलिए भगवान से प्रार्थना करें के कभी भी इन बांधो को कोई नुकसान ना हो।

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