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शनि देव की टेढ़ी नजर से बचने के उपाय, पीपल पर जल कैसे चढ़ाएं ?

शनि देव की टेढ़ी नजर से बचने के उपाय, पीपल पर जल कैसे चढ़ाएं ?

हर इंसान को अपनी Life में सबकुछ अच्छा चाहिए होता है लेकिन ऐसा होना सिर्फ ऊपरवाले के हाथ होता है. सबकी किस्मत में जो लिखा है उतना ही मिलता है. लेकिन जीवन को बेहतर बनाने के लिए भगवान की पूजा भी जरूरी होती है.

शनि देव की पूजा से ही उनके प्रकोप से बचा जा सकता है :



जब किसी का समय बुरा चल रहा होता है तो लोग कहते हैं शनि का प्रकोप होगा, और कई बार ग्रहों की चाल बदलने से भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है. इसे सही करने के लिए कुछ सरल उपायों से उन्हें शांत किया जा सकता है. आज हम आपको शनि के प्रकोप से बचने के कुछ सरल उपाय बताने जा रहे हैं…

1. हर शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल, कच्चा दूध चढ़ाकर सात बार परिक्रमा करें. सूर्य, शंकर, पीपल इन तीनों की पूजा करें तथा चढ़े जल को नेत्रों में लगाएं और ‘पितृ देवाय नम:’ भी 4 बार बोलें तो राहु+केतु, शनि+पितृ दोष का निवारण होता है.

2. सुबह उठते ही माता-पिता, गुरु एवं बुजुर्गों को प्रणाम करें और उनका आत्मिक आशीर्वाद लेने के बाद 5 सुगंधित अगरबत्ती लगाने के बाद पूजा करके दिन की शुरूआत करें.

3. रोजाना गाय को गुड़-रोटी खिलाएं और हो सके तो गाय की पूजा करके ‘आज के दिन यह कामधेनु वांछित कार्य करेगी’ ऐसी प्रार्थना मन में करें.

4. रोजाना कुत्तों को रोटी खिलाने से भी शनि का प्रभाव कम होता है और पक्षियों को दाना भी डालना शुभ है.

5. घर आए मेहमानों से अच्छा व्यहार करना चाहिए, क्‍योंकि अतिथि को भगवान के समान समझा जाता है.

6. सुबह के समय भोजन बनाते समय घर की महिलाएं एक रोटी अग्निदेव के नाम से बनाकर, घी तथा गुड़ से बृहस्पति भगवान को अर्पित कर उनकी पूजा करें. इससे घर में वास्तु पुरुष को भोग लग जाता है और अन्नपूर्णा मां भी प्रसन्न रहती हैं.

7. सुबह के समय नहाने के बाद भगवान शंकर के शिवलिंग पर जल चढ़ाकर 108 बार ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र की पूजा कर, दंडवत नमस्कार करना चाहिए.

8. नहाने के बाद सुबह सूर्यनारायण को लाल फूल चढ़ाकर पूजा करके, बार-बार हाथ जोड़कर नमस्कार करना चाहिए.


9. जितनी शक्ति हो कुछ न कुछ गरीबों को दान देना चाहिए. प्रत्येक प्राणी पर दयाभाव के साथ तन-मन-धन से सहयोग करना चाहिए. लोगों की मदद करना पूजा से बड़ा होता है.

10. पितृ दोष से मुक्ति के लिए रोज महागायत्री के महामंत्र की नियमित साधना करें तथा श्री रामेश्वर धाम की यात्रा कर वहां पूजा करें.

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