65 साल से ज्यादा पुराना है भारत और चीन का सीमा विवाद, जानिए

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद दिन प्रति दिन बढ़ता चला जा रहा है. फिलहाल इस बार दोनों देशों के बीच विवाद का मुद्दा सिक्किम का डोकलामा क्षेत्र बना हुआ है. सिक्किम के इस क्षेत्र पर दोनों देश अपना अपना कब्ज़ा बता रहे हैं. इन दोनों देशों के बीच विवाद की ऐसी स्थिति पहली बार नहीं बनी है. साल 1962 में हुए India China War के बाद ऐसा कई बार हुआ जब दोनों देशों के बीच की स्थितियां तनावपूर्ण हो गयी. आइये जानते हैं कि किन-किन मुद्दों पर पहले भी इन दोनों देशों के आपसी संबंध ख़राब हो चुके हैं.

जब तिब्बत मुद्दे पर भिड़े दोनों देश –

भारत दुनिया का दूसरा ऐसा गैर कम्युनिस्ट देश था, जिसने 30 दिसम्बर 1949 को China को एक देश के तौर पर मान्यता दी. दोनों के बीच विवाद की शुरुआत 7 अक्टूबर 1950 को तब हुई, जब चीन ने तिब्बत के ल्हासा क्षेत्र पर अपना कब्ज़ा जताने की कोशिश की.

इस इरादे से चीनी सेनाओं ने पहली बार चीन-तिब्बत सीमा लांघी थी. चीनी सेना ने पूर्वी तिब्बत पर अपना कब्ज़ा जमाने के उद्देश्य से साल 1951 के मई महीने में राज्यपाल के मुख्यालय पर कब्ज़ा कर लिया था.

जब चीनी प्रधानमंत्री ने लद्दाख और नेफा पर ठोका अपना दावा-

15 मई 1954 को चीनी प्रधानमन्त्री चाऊ एन लाई भारत दौरे पर आये थे. अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण संबंधों को बनाये रखने के लिए, पंचशील समझौते पर हस्ताक्षर किये.

लेकिन लगभग 5 साल बाद 23 मई 1959 को चाऊ उन लाई ने पहली बार लद्दाख और नेफा(North East Frontier Agency) के भारतीय क्षेत्र पर चीन का कब्ज़ा बताया. उस दौरान उन्होंने लद्दाख और नेफा के 40,000 वर्ग मील के क्षेत्र को चीन के अधिकार क्षेत्र में कहा था.

जब दलाई लामा को दी भारत ने शरण-

3 अप्रैल 1959 को तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा ने तिब्बत के ल्हासा से भागकर भारत में शरण ली. दलाई लामा को शरण देने के भारत के इस फैसले का China ने कड़ा विरोध किया. आज भी चीन, दलाई लामा के अरुणाचल और सिक्किम के दौरों का विरोध करता है.

सिक्किम और भूटान पर China ने जताया अपना हक- 

8 सितम्बर 1959 को चीन ने भूटान और सिक्किम के 50,000 वर्ग मील के भारतीय क्षेत्र पर अपना कब्ज़ा बताया. इसके दो साल बाद साल 1961 के जनवरी महीने में चीन ने सीमा के पश्चिमी क्षेत्र पर अपना कब्ज़ा कर लिया. इस दौरान चीन ने 12,000 वर्ग मील की भारतीय जमीन पर अपना कब्ज़ा कर लिया था.

अगले साल यानी कि 1962 में चीन ने पूर्वी सेक्टर के तवांग और पश्चिमी सेक्टर के वलोंग पर भी हमला कर दिया और इन दोनों भारतीय क्षेत्रों पर भी चीन ने अपना कब्ज़ा कर लिया. 21 नवंबर 1962 को चीन के युद्ध विराम के फैसले के बाद पहला भारत और चीन युद्ध समाप्त हुआ. युद्ध समाप्ति पर चीन ने भारत को तीन सूत्रीय युद्ध विराम फार्मूला भेजा, जिसे भारत सरकार को मज़बूरी में मानना पड़ा.

कुछ सालों बाद  China ने फिर अलापा सिक्किम राग-

युद्ध विराम के तीन साल बाद चीन ने फिर से सिक्किम के मुद्दे को उठाया. 30 नवंबर 1965 को चीनी सेनाओं ने एक बार फिर उत्तरी सीमा और NEFA (North East Frontier Agency) क्षेत्र पर घुसपैठ करने की कोशिश की. अप्रैल 1975 में चीन ने सिक्किम के भारत में शामिल होने का भी कड़ा विरोध किया लेकिन इसी दौरान दोनों देश शान्ति स्थापित करने के उद्देश्य से राजदूतों की बहाली पर पहली बार सहमत हुए.

जब राजीव गांधी गए China दौरे पर-

साल 1988 में राजीव गांधी ने चीन का दौरा किया. इस दौरान पहली बार चीन और भारत ने सीमा विवाद का निपटारा, और आर्थिक संबंधों को मजबूती देने के उद्देश्य से संयुक्त समिति बनाने का फैसला लिया. इस फैसले के तहत साल 1995 में भारत और चीन ने, पूर्वी सेक्टर के सुमदोरोग घाटी से अपनी अपनी सेनायें हटाने का फैसला लिया.

जुलाई 2006 में चीन ने भारत के उस प्रस्ताव पर अपनी सहमति जताई, जिसके तहत भारत ने चीन से नाथुला दर्रा खोलने की अपील की थी.

साल 2007 से फिर से बढ़ने लगा तनाव –

25 मई 2007 को चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री Dorjee Khandu को वीजा देने से मना कर दिया. चीनी विदेश मंत्रालय ने इस मामले में यह तर्क दिया कि अपने ही देश में आने के लिए उन्हें वीजा की क्या जरुरत. अप्रैल 2013 में चीनी सरकार ने पूर्वी लद्दाख के देपसांग बल्ज को चीन के शिझियांग प्रांत का हिस्सा बताया. पूर्वी लद्दाख के इस क्षेत्र में चीन की सैनिक कार्यवाही का भारत ने कड़ा विरोध किया. जब भारतीय सेना ने जवाबी कार्यवाही कि तब चीनी सैनिक लद्दाख के इस क्षेत्र से पीछे हटे.

जब चीन ने दिया पाकिस्तान का साथ-

चीन ने अक्टूबर 2016 में संयुक्त राष्ट्र में जैश ए मोहम्मद के आतंकी सरगना मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने के, भारत के फैसले का विरोध किया. मई 2017 ने भारत ने पाकिस्तान और चीन के बीच हो रहे One Belt One Nation सम्मेलन का कड़ा विरोध किया.

दरअसल यह सम्मेलन चीन और पाकिस्तान के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था. भारत के विरोध के बावजूद चीन ने Pok क्षेत्र में कराकोरम हाईवे का निर्माण किया. यह हाईवे चीन के शिनझियांग शहर से शुरू होकर खुन्जेरबर्ग दर्रे से पास होता हुआ पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में खत्म होता है.

Post a Comment

Previous Post Next Post