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मक्का मदीना में जब गुरू नानक देव के पैरों के साथ जगह बदलने लगा काबा

मक्का मदीना में जब गुरू नानक देव के पैरों के साथ जगह बदलने लगा काबा

गुरू नानक देव के नाम से हर कोई वाकिफ है. इनको सिख धर्म के संस्थापक के रूप में जाना जाता है. गुरू नानक के अनुयायी सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हैं. उनको कई नामों से पुकारा जाता है, कोई उन्हें गुरु नानक बुलाता है तो कोई नानक देव जी, कोई नानक शाह तो कोई बाबा नानक.
आज हम आपको गुरू नानक देव जी के बारे में एक ऐसा किस्सा सुनाने जा रहे हैं, जिसके बारे में आपने शादय ही सुना होगा. ये किस्सा है मक्का मदीना का, जब गुरू नानक देव वहां गये थे.

मक्का मदीना पहुंचे गुरू नानक देव



एक बार की बात है गुरु नानक, मुस्लिमों के तीर्थ स्थल ‘मक्का-मदीना’ जा पहुंचे. मक्का में काबा स्थित है, जिस मुस्लिम खुदा का दर मानते हैं. गुरूनानक के साथ उनके कुछ मुस्लिम साथी भी थे. वो इतनी लंबी यात्रा से काफी थक गए थे और सूरज भी डूबने वाला था.
हुआ कुछ ऐसा कि नानक काबा की ओर पैर करके सो गए. जब हाजियों की सेवा करने वाला खातिम जिसका नाम जिओन ने उन्हें ऐसे देखा तो वो बेहद नाराज हुआ और गुस्से में नानक पर बरस पड़ा. उसने कहा, ‘तू कौन काफिर है जो खुदा के घर की तरफ पैर करके सोया है।’ इस पर नानक देव ने कहा, ‘मैं यहां पूरे दिन सफर करने के बाद थककर लेटा हूं. मुझे नहीं मालूम खुदा का घर किधर है. तू मेरे पैर उधर कर दे जिधर तेरे खुदा का घर ना हो.’
जब नानक ने उससे ये बात कही तो वो और भी गुस्से से भर गया. उसने गुस्से में ही नानक के पैर उठाकर दूसरी ओर कर दिये, लेकिन जब उसने पलट कर देखा तो काबा भी वहीं आ गया था. इस पर उसने दोबारा नानक का पैर दूसरी दिशा की ओर किया, लेकिन काबा फिर से वहां आ गया. इस पर जिओन बेहद डर गया.
जिओन ने जब ये सारा वाकया अपने हाजी और अन्य मुसलमानों को बताया तो सभी इस चमत्कार से दंग रह गए. वो सभी नानक जी के कदमों में गिर गए. इसी के साथ ही अपनी गलती के माफी मांगी.

गुरू नानक देव ने निकाली रोटी से दूध और पकवान से दूध

नानक देव किसी भी जाति को ऊंचा या नीचा नहीं मानते थे. वो हर किसी को एक समान मानते थे. इसी संदेश को लेकर उन्होंने कई जगहों का भ्रमण किया. इस दौरान वो लालो नाम के एक बढ़ई के घर में रुके हुए थे. वो बढ़ई आर्थिक रूप से कमजोर था. उसके घर पर नानक देव के रहने की बात पूरे गांव में फैल गई.
इसी गांव में एक भागों नाम का धनवान व्यक्ति भी रहता था. जब उसे पता चला कि नानक देव गांव में रुके हुए हैं, तो उसने साधुओं के लिए भोज का आयोजन किया. उसने नानक देव को भी बुलाया, लेकिन उन्होंने आने से साफ इंकार कर दिया.
भागो को जब पता चला कि नानक देव ने आने से मना तो उसने इसकी वजह जाननी चाही तब नानक जी ने कहा कि ‘मैं ऊंच-नीच में भेदभाव नहीं करता। लालो अपनी मेहनत से कमाता है जबकि तुम गरीबों और असहायों को परेशान करके पैसा कमाते हो.’
इस बात को गुरूनानक ने इस बात को साबित भी किया. उन्होंने के अपने एक हाथ में लालो की रोटी ली और दूसरे हाथ में भागो के पकवान लिए और दोनों को निचोड़ना शुरू किया. लालो की रोटी से दूध निकलने लगा वहीं भागो के पकवान से खून निकलने लगा. सभी ये देखकर हैरान रह गए.

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