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Sensex क्या होता है और इसकी गणना कैसे की जाती है

Sensex क्या होता है और इसकी गणना कैसे की जाती है

Sensex या संवेदी सूचकांक का नाम तो आपने सुना होगा. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की शुरूआत 1 जनवरी 1986 में की गई. Sensex की स्थापना कंपनियों के शेयर मूल्यों में उतार-चढ़ाब के जानने के लिए की गई थी. यहां पर 30 कंपनियों के शेयर मूल्यों में उतार चढ़ाव को देखा जाता है.

कैसे की जाती है Sensex में उतार चढ़ाव की गणना

BSE में 30 सूचीबद्ध कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन के खाते में दैनिक आधार गर सेंसेक्त के मूल्यों की गणना की जाती है.
एक उदाहरण के तौर पर वर्तमान में सेंसेक्स 20000 के स्तर पर है. अब मान लीजिये कि BSE में केवल 2 कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, जिनमें एक का नाम A है और दूसरी का B है. अब मान लीजिए कि A के एक शेयर की कीमत 200 रुपये है और इसके पास कुल 10000 बकाया शेयर हैं.
वहीं B के एक शेयर की कीमत 500 रुपये है और इसके पास 7500 बकाया शेयर हैं. इन दोनों के कारण BSE का कुल बाजार पूंजीकरण रु. 200×10000 + रु. 500×7500 यानी कुल 57.50 लाख रुपये होगा.
अब मान लेते हैं कि अगले दिन A के शेयर की कीमत में 25% की बढ़ोतरी होती है और 250 तक पहुंच जाती है. वहीं B के शेयर की कीमत 10% कम हो जाती है और 450 रुपये हो जाती है. तो अब नए शेयर मूल्यों पर BSE का कुल मार्किट पूंजीकरण 250×10000 + 450×7500 = 58.75 लाख रुपये हो जाएगी.
अब दोनों ही कंपनियों के शेयरों के मूल्यों में उतार-चढ़ाव के कारण BSE का बाजार पूंजीकरण 2.17% की वृद्धि के साथ 58.75 लाख हो जाएगा और Sensex 20434 पर पहुंच जाएगा.

Sensex की शुरुआत कितने अंकों से हुई थी

सेंसेक्स का आधार साल 1978-79 है और इस समय के लिए बेस इंडेक्स वैल्यू 100 पर सेट है. यानी कि साल 1978 में सेंसेक्स 100 अंकों के स्तर पर माना जाता गया था, जोकि 1979 में 113.28 तक पहुंच गया था. आज BSE के बाजार में इतनी बढोतरी हो गई है कि ये 33000 अंकों से भी ऊपर चला गया है.

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