Headlines
Loading...
गोडसे ने गांधीजी को क्यों मारा, जानिए नफरत की 30 वजहें - Why Nathuram Godse Killed Mahatma Gandhi

गोडसे ने गांधीजी को क्यों मारा, जानिए नफरत की 30 वजहें - Why Nathuram Godse Killed Mahatma Gandhi

नाथूराम गोडसे जिसे आज सभी एक हत्यारे के रूप में जानते हैं क्योंकि इस इन्सान ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी. लेकिन ये हत्या क्यूं हुई, इसका क्या कारण था, इसके बारे में या तो कम लोग जानते हैं या बिल्कुल नहीं जानते हैं. क्या नाथूराम द्वारा इस हत्या में कोई देशभक्ति छिपी थी या कोई और वजह थी?
आज भी भारत में कई नेताओं को हत्या करने के बावजूद राजनीती में जगह मिल जाती है और वो आराम से सत्ता में बैठे रहते है. लेकिन उस समय में नाथूराम गोडसे को राजनितिक सहयोग ना मिल पाने के कारण फांसी की सजा हो गयी थी. खैर चलिए आज हम आपको नाथूराम गोडसे के जीवन के बारे में कुछ बातें बताएंगे….

1. नाथूराम गोडसे का जन्म 19 मई 1910 में भारत के महाराष्ट्र राज्य में पुणे के निकट बारामती में चित्तपावन मराठी परिवार में हुआ था.
2. इनके पिता विनायक वामनराव गोडसे पोस्ट ऑफिस में काम करते थे और माता लक्ष्मी गोडसे सिर्फ एक गृहणी थीं. नाथूराम के जन्म का नाम रामचन्द्र था.
3. नाथूराम के जन्म से पहले इनके माता-पिता की सन्तानों में तीन पुत्रों की मृत्यु हो गयी थी केवल एक पुत्री ही जीवित बची थी. इसलिये इनके माता-पिता ने ईश्वर से प्रार्थना की थी कि यदि अब कोई पुत्र हुआ तो उसका पालन-पोषण लड़की की तरह किया जायेगा.
4. इसी मान्यता के कारण इनकी नाक बचपन में ही छेद दी और नाम भी बदल दिया. बाद में ये नाथूराम विनायक गोडसे के नाम से प्रसिद्ध हुए.
5. ब्राह्मण परिवार में जन्म होने के कारण इनका बचपन से ही धार्मिक कार्यों में बहुत दिलचस्पी रही थी. इनके छोटे भाई गोपाल गोडसे के अनुसार ये बचपन में ऐसे-ऐसे विचित्र श्लोक बोलते थे जो इन्होंने कभी भी पढ़ें ही नहीं थे.
6. जब ये ध्यान में होते थे तो अपने परिवार वालों और उनकी कुलदेवी के मध्य एक सूत्र का काम किया करते थे लेकिन यह सब 16 साल की उम्र तक आते-आते खत्म हो गया.
7. इनकी प्रारम्भिक शिक्षा पुणे में हुई लेकिन हाईस्कूल के बीच में ही अपनी पढ़ाई-लिखाई छोड़ दी तथा उसके बाद कोई शिक्षा नहीं ली.
8. धार्मिक पुस्तकों में गहरी रुचि होने के कारण रामायण, महाभारत, गीता, पुराणों के अतिरिक्त स्वामी विवेकानन्द, स्वामी दयानन्द, बाल गंगाधर तिलक तथा महात्मा गांधी के साहित्य का इन्होंने गहरा अध्ययन किया था.
9. अपने राजनैतिक जीवन के प्रारम्भिक दिनों में नाथूराम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गये. अन्त में 1930 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी छोड़ दिया और अखिल भारतीय हिन्दू महासभा में चले गये.
10. उन्होंने अग्रणी तथा हिन्दू राष्ट्र नामक दो समाचार-पत्रों का सम्पादन भी किया था. वे मुहम्मद अली जिन्ना की अलगाववादी विचार-धारा का विरोध करते थे.
11. प्रारम्भ में तो उन्होंने मोहनदास करमचंद गांधी के कार्यक्रमों का समर्थन किया परन्तु बाद में गांधीजी के द्वारा लगातार और बार-बार हिन्दुओं के विरुद्ध भेदभाव पूर्ण नीति अपनाये जाने तथा मुस्लिम तुष्टीकरण किये जाने के कारण वे गांधी के प्रबल विरोधी हो गये.
12. साल 1940 में हैदराबाद के तत्कालीन शासक निजाम ने उसके राज्य में रहने वाले हिन्दुओं पर बलात जजिया कर लगाने का निर्णय लिया जिसका हिन्दू महासभा ने विरोध करने का निर्णय लिया.
13. हिन्दू महासभा के तत्कालीन अध्यक्ष विनायक दामोदर सावरकर के आदेश पर हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं का पहला जत्था नाथूराम गोडसे के नेतृत्व में हैदराबाद गया.
14. हैदराबाद के निजाम ने इन सभी को बन्दी बना लिया और कारावास में कठोर दण्ड दिये परन्तु बाद में हारकर उसने अपना निर्णय वापस ले लिया.
15. साल 1947 में भारत का विभाजन और विभाजन के समय हुई साम्प्रदायिक हिंसा ने नाथूराम को अत्यन्त उद्वेलित कर दिया.
16. उस समय की परिस्थिति को देखते हुए बीसवीं सदी की उस सबसे बडी त्रासदी के लिये मोहनदास करमचन्द गांधी ही सर्वाधिक उत्तरदायी समझ में आये.
17. विभाजन के समय हुए निर्णय के अनुसार भारत द्वारा पकिस्तान को 75 करोड़ रुपये देने थे, जिसमें से 20 करोड़ दिए जा चुके थे.
18. उसी समय पाकिस्तान ने भारत के कश्मीर प्रान्त पर आक्रमण कर दिया जिसके कारण भारत के तत्कालीन प्रधानमन्त्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और गृहमन्त्री सरदार बल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में भारत सरकार ने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये न देने का निर्णय किया.
19. भारत सरकार के इस निर्णय के विरुद्ध गांधीजी अनशन पर बैठ गये. गांधी के इस निर्णय से दुखी नाथूराम गोडसे और उनके कुछ साथियों ने गांधीजी का मारने का निर्णय लिया.
20. गोडसे को गांधीजी के सिद्धांतो से सख्त नफरत थी और हमेशा उनको हिन्दू विरोधी मानते थे. गोडसे का मानना था कि गांधीजी हिन्दुओं की बजाय मुस्लिमों के संरक्षण में ज्यादा रूचि दिखा रहे थे जो उनको अनुचित और राष्ट्र विरोधी लगती थी.
21. गोडसे 30 जनवरी साल 1948 को गांधीजी की शाम वाली सभा में पहुंचे. जब गोडसे गांधीजी के चरण स्पर्श करने के लिए झुके तो गांधीजी को सहारा देने वाली एक लड़की ने कहा “भाई, बापू को पहले ही बहुत देरी हो गयी है इसलिए इन्हें जाने दो”.
22. गोडसे ने उस लड़की को एक तरफ किया और गांधीजी को बिल्कुल नजदीक से सेमी ऑटोमेटिक पिस्तौल से तीन बार सीने में गोली चला दी. गांधीजी को तुंरत बिरला हाउस ले जाया गया और बाद में उनकी मृत्यु हो गयी.
23. गांधीजी की हत्या के बाद नाथूराम गोडसे को जांच के दौरान शिमला भेज दिया गया. 8 नवम्बर साल 1949 को गोडसे को फांसी की सजा सुनाई गयी.
24. अब गोडसे की फांसी की सजा के लिए जवाहरलाल नेहरु और गांधीजी के दो पुत्रों ने बचाव किया और कहा कि वो अपने पिता के कातिल को फांसी पर चढ़ाकर गांधीजी के सिधान्तों का अनादर कर रहे हैं क्योंकि गांधीजी सदैव अहिंसा के समर्थक रहे थे.
25. गोडसे को 15 नवम्बर साल 1949 को अम्बाला जेल में फांसी दे दी गयी. गोडसे के साथ-साथ नारायण आप्टे को भी हत्या की साजिश में गोडसे के साथ फांसी पर लटका दिया गया. सावरकर को भी हत्या की साजिश में गिरफ्तार किया था लेकिन सबूतों के आभाव में उन्हें रिहा कर दिया गया.
26. गांधीजी की हत्या के कारण हिन्दू महासभा का तिरस्कार हुआ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी. बाद में जाच के दौरान RSS के खिलाफ कोई सबूत नही मिला और साल 1949 में RSS पर से प्रतिबंध हटा लिया गया.
27. साल 2014 में BJP के सत्ता में आने के बाद हिन्दू महासभा ने गोडसे को एक देशभक्त के रूप में स्थापित किया. प्रधानमंत्री नरेंद मोदी को गोडसे की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए बुलाया गया था.
28. 30 जनवरी साल 2015 को गांधीजी की पूण्यतिथि को देशभक्त नाथूराम गोडसे नाम की एक documentary film बनाई गयी. इसके बाद गोडसे का मन्दिर बनाने का भी प्रयास किया गया और 30 जनवरी को शौर्य दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया.
29. नाथूराम गोडसे एक ऐसे व्यक्ति थे जिनको जान पाना बड़ा मुश्किल था. हिन्दू महासभा में कार्यरत होने के कारण उन्हें कट्टर हिंदूवादी माना जाता है और वास्तव में वो हिन्दुओं की रक्षा के लिए वीर सावरकर के साथ सक्रिय रूप से कार्यरत थे.
30. नाथूराम गोडसे ने अपने अन्तिम शब्दों में कहा था : “यदि अपने देश के प्रति भक्तिभाव रखना कोई पाप है तो मैंने वह पाप किया है और यदि यह पुण्य है तो उसके द्वारा अर्जित पुण्य पद पर मैं अपना नम्र अधिकार व्यक्त करता हूँ”.

0 Comments: